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केवटा-पिपरपांती तालाब पर है अतिक्रमणकारियों का कब्जा

सूबे की सरकार के आदेश के बाद भी तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कराने में प्रशासन पूरी तरह नाकाम दिखाई पड़ रहा है। प्रशासन की उदासीनता के चलते पशु पक्षी पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं। शहर से लेकर ग्रामीण अंचलों में तालाब और पोखरों पर कहीं पंचायत भवन तो कही भूमिहीनों को पर्चा देकर घर बना दिया गया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Aug 2019 01:14 AM (IST)Updated: Thu, 29 Aug 2019 01:14 AM (IST)
केवटा-पिपरपांती तालाब पर है अतिक्रमणकारियों का कब्जा
केवटा-पिपरपांती तालाब पर है अतिक्रमणकारियों का कब्जा

समस्तीपुर । सूबे की सरकार के आदेश के बाद भी तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कराने में प्रशासन पूरी तरह नाकाम दिखाई पड़ रहा है। प्रशासन की उदासीनता के चलते पशु पक्षी पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं। शहर से लेकर ग्रामीण अंचलों में तालाब और पोखरों पर कहीं पंचायत भवन तो कही भूमिहीनों को पर्चा देकर घर बना दिया गया है। सरकार की मुहिम जल जीवन और हरियाली आज पूरे प्रदेश में जोर-शोर से चल रहा है। लेकिन, प्रखंड की केवटा पंचायत के पिपरपाती गांव स्थित तालाब आज भी अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है। यह अपने अस्तित्व को बचाने की गुहार लगा रहा है। इस तालाब के किनारे जल जीवन और हरियाली के उद्देश्य से 22 वर्ष पूर्व 1997 में आजादी की 50वीं वर्षगांठ स्वर्ण जयंती वर्ष के अवसर पर जननायक कर्पूरी ठाकुर बाल उद्यान की स्थापना की गई थी। ताकि, तालाब के किनारे हरियाली रहे। जल संरक्षण के साथ-साथ शुद्ध हवा मिले। लेकिन, कुछ ही वर्षो के बाद जिस तालाब के चारों किनारे पर हरे-भरे पेड़ थे वहां, आज फूस और ईट का मकान बन गया है। जिस तालाब में कभी पानी लबालब भरा रहता था, वह आज पशु क्या पक्षियों को भी पीने के लिए नसीब नहीं हो पाता है।

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बलान उद्यान के जरिए होना था तालाबों का संरक्षण

केवटा-पिपरपाती तालाब के संरक्षण के उद्देश्य से बाल उद्यान की स्थापना वर्ष 1997 में की गई थी। लेकिन, स्थानीय प्रशासन की उदासीनता के कारण सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना धरातल पर नहीं उतर सकी। जिसका नतीजा हुआ कि आज यह तालाब लगभग सूख चुका है।

तालाब के सूखने से जलस्तर पर भी पड़ा असर

इस तालाब के सूखने के कारण आस-पास के घरों में पानी के लिए गाड़े गए हैंड पंप का जलस्तर काफी नीचे चला गया है। तालाब में पानी जिस समय रहता था, उस समय जहां का जलस्तर 15 से 20 फीट हुआ करता था। जबकि आज 40 से 50 नीचे भी पानी नहीं मिल पाता है। जैसे-जैसे जलस्तर गिर रहा है, पानी का खारापन भी बढ़ रहा है।

जिलाधिकारी के आदेश का नही हुआ अनुपालन

वर्ष 2010 में तत्कालीन जिलाधिकारी ने इस तालाब पर किए गए अतिक्रमण की जांच कर इसकी रिपोर्ट देने का आदेश दिया था। साथ ही कहा था कि यदि अतिक्रमण है तो उसे खाली कराना सुनिश्चित करें। लेकिन, करीब 18 वर्ष बीत जाने के बाद भी डीएम के आदेश का अनुपालन उनके अधिकारियों द्वारा नहीं किया गया। अब देखना है कि मुख्यमंत्री के जल जीवन और हरियाली मिशन के उद्देश्य को स्थानीय प्रशासन किस तरह पूरा करता है।


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