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भवन अनुमंडलीय अस्पताल का.. संचालित होता है पीएचसी

शाहपुर पटोरी।ं आज से लगभग एक दशक पूर्व अनुमंडलीय अस्पताल का विशाल भवन बनकर तैयार हो गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Apr 2019 12:17 AM (IST)Updated: Sun, 07 Apr 2019 06:31 AM (IST)
भवन अनुमंडलीय अस्पताल का.. संचालित होता है पीएचसी
भवन अनुमंडलीय अस्पताल का.. संचालित होता है पीएचसी

शाहपुर पटोरी।ं आज से लगभग एक दशक पूर्व अनुमंडलीय अस्पताल का विशाल भवन बनकर तैयार हो गया। सीएम ने इसका विधिवत्त उद्घाटन भी कर दिया। पटोरी प्रखंड एवं इसके आसपास के क्षेत्रों के लगभग दस लाख की आबादी के बीच यह आस भी जगी कि क्षेत्र को आधुनिक चिकित्सीय सुविधा अब यहीं मिल जाएगी। आपातकाल में उन्हें पटना या बड़े शहरों का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा किन्तु हुआ इसके विपरीत। जो भवन अनुमंडलीय अस्पताल के लिए बनाया गया था आज वहां पीएचसी चल रहा है, जहां दर्जनों विशेषज्ञ चिकित्सक होने चाहिए वहां सिर्फ चार-पांच हैं। हालात जस के तस हैं। अनुमंडलीय अस्पताल का यह सपना अभी अधूरा है। चुनाव के दौरान तो आश्वासन भी मिलता है और वादे भी किए जाते हैं पर, पूरे होते नहीं। ऐसे में जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को समझना होगा कि पटोरी के लोगों के लिए यह मुद्दा उनके और अपनों की सेहत से जुड़ा है। संवाददाता दीपक प्रकाश की रपट। ----शाहपुर पटोरी में पीएमसीएच और डीएमसीएच के बोझ को कम करने के उद्देश्य से एक आधुनिक बहुमंजिले अस्पताल की नींव रखी गयी थी। इसके निर्माण में आयी बाधाओं के लिए स्थानीय लोगों ने कोर्ट तक की लड़ाई लड़ी। सफलता भी मिली। विशाल भवन का अस्पताल तो बना किन्तु अनुमंडलीय अस्पताल का अबतक दर्जा नहीं मिल सका। इस बड़े भवन में सिर्फ पीएचसी की ही स्थापना की गई। छोटे भवन से संचालित पीएचसी का स्थानांतरण इस बहुमंजिली इमारत में कर दिया गया क्षेत्र के गंभीर मरीजों के इलाज के जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए इस अस्पताल भवन का निर्माण किया गया था वो अधूरा ही रह गया। स्थानीय लोगों का बेहतर इलाज का सपना अभी पूरा नहीं हुआ और जाने कब होगा। 24 के जगह हैं सिर्फ 5 चिकित्सक लगभग 5 करोड़ रूपये की लागत से बनने वाले इस अस्पताल में कुल 140 चिकित्सक एवं कर्मियों के पद सृजित किये गये हैं परन्तु स्थिति कुछ और है। 24 में पांच चिकित्सक, दो महिला चिकित्सकों में सिर्फ एक महिला चिकित्सक ही यहां पदस्थापित हैं। फिजियोथिरापिस्ट, कार्डियोलाजिस्ट तथा हड्डी रोग से जुड़े कोई भी चिकित्सक यहां नहीं है। अनुमंडलीय अस्पताल में चल रहा पीएचसी

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इस अनुमंडलीय अस्पताल में कोई भी आधुनिक सुविधा नहीं दी गई, सिर्फ पीएचसी वाली सुविधा ही यहां बहाल रही। सिर्फ पांच चिकित्सक के बल पर यह अस्पताल चल रहा है, जबकि यहां 24 चिकित्सकों का पद सृजित है। सबसे आश्चर्य यह कि सर्जन तो हैं किन्तु एनेस्थेसिया से जुड़े डाक्टर न होने के कारण परिवार नियोजन के अतिरिक्त यहां कोई ऑपरेशन नहीं किया जाता। इतने बड़े अस्पताल में नहीं है एक भी ड्रेसर

इतने बड़े अस्पताल में फिलहाल एक ड्रेसर भी उपलब्ध नहीं है। लैब टेक्नीशियन की संख्या सिर्फ दो है। कई विभाग खाली हैं। और तो और इसके भवन का उपयोग महिला पुलिसकर्मियों के रहने के लिए किया जाता है। सामान्य प्रसव तो यहां संभव हो पाता है किन्तु सिजेरियन ऑपरेशन वाले रोगी को बाहर रेफर कर दिया जाता है। यहां पर्याप्त एएनएम भी उपलब्ध नहीं है। अधिकांश कक्ष रहते हैं खाली

इस बड़े अस्पताल का अधिकांश कक्ष खाली ही रहता है। कई ऐसे कक्ष हैं जिसका ताला भी कई महीनों से नहीं खुला है। अस्पताल के आसपास की सफाई भी सही ढंग से नहीं की जाती। रोगियों के लिए उचित बेड उपलब्ध नहीं रहने से कई रोगियों को जमीन पर सोना पड़ता है। कई बार बेड बढ़ाने का आश्वासन मिला किन्तु आजतक उसपर पहल नहीं हो सकी। उच्चाधिकारियों से भी लगाई गई गुहार

अनुमंडलीय अस्पताल को आवश्यक सुविधा देने के लिए कई बार डीएम तथा विभागीय मंत्री को अस्पताल प्रशासन की ओर से लिखा गया किन्तु आजतक इसे अनुमंडलीय अस्पताल का दर्जा नहीं मिल सका। और तो और इसे पूर्ण सुविधा दिलाने का आश्वासन विगत दस वर्षों में सांसद तथा विधायकों ने भी दिया। उन्होंने इससे संबंधित प्रश्न सदन में भी उठाया किन्तु अबतक इसके लिए कोई सकारात्मक प्रयास नहीं हो सका। मरीजों को जाना पड़ता है पटना

अनुमंडलीय अस्पताल के सुविधाविहीन रहने के कारण छोटी-मोटी बीमारियों में भी लोगों को उच्च चिकित्सा के लिए पटना जाना पड़ता है। यहां अपर्याप्त चिकित्सक एवं अच्छी दवाओं का अक्सर अभाव रहता है। यहां के चिकित्सक रोगी को तुरंत बाहर रेफर कर अपनी जिम्मेवारी से मुक्त हो जाते हैं। उनका भी कहना वाजिब है कि सुविधाविहीन चिकित्सालय में रखना रोगियों के लिए खतरनाक है।


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