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मऊ वाली मैया की महिमा है अपरंपार

समस्तीपुर। विद्यापतिनगर प्रखंड के मऊ बाजार स्थित पुरानी दुर्गा मंदिर क्षेत्र के लोगों के आस्था और विश्वास का केंद्र है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Apr 2019 11:03 PM (IST)Updated: Sun, 07 Apr 2019 11:03 PM (IST)
मऊ वाली मैया की महिमा है अपरंपार
मऊ वाली मैया की महिमा है अपरंपार

समस्तीपुर। विद्यापतिनगर, प्रखंड के मऊ बाजार स्थित पुरानी दुर्गा मंदिर क्षेत्र के लोगों के आस्था और विश्वास का केंद्र है। मऊ वाली मैया के दरबार में सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद और मन्नत पूरी होती है। दलसिंहसराय अनुमंडल क्षेत्र के सबसे पुरानी दुर्गा मंदिर होने की वजह से वासंतीय और शारदीय नवरात्र के दौरान यहां श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ता है। विद्यापतिधाम स्टेशन से तीन किलोमीटर दक्षिण-पूर्व दिशा में मऊ गांव में स्थापित माता दुर्गा का संगमरमर निर्मित भव्य मूर्ति लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गया है। कहा जाता है कि सच्चे मन से मैया के दर पर माथा टेकने वाले भक्तों की झोली हमेशा माता रानी भरती हैं। मुरादें पूर्ण होने पर यहां श्रद्धालुओं द्वारा वस्त्र, आभूषण, चुनरी और प्रसाद चढ़ाने की परंपरा है। मंदिर का इतिहास

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बुजुर्गो की मानें तो दो सौ साल से ज्यादा समय से पहले से यहां माता की पूजा की जाती है। मन्नतें पूरी होने पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ यहां महाअष्टमी और नवमी के दिन उमड़ती है। इलाके का शायद ही कोई ऐसा परिवार होगा,जिसके घर की महिलाएं पुरानी दुर्गा मंदिर में खोइंछा भरने और प्रसाद चढ़ाने न आती हों। यहां महाअष्टमी की रात्रि में छप्पन भोग महाप्रसाद चढ़ाने और मन्नतें पूरी होने पर छागर बलि की प्रथा कालजयी है। मंदिर की ंिवशेषता

बताया जाता है कि सदियों से यहां प्रतिवर्ष मिट्टी की मूर्ति बना कर पूजा अर्चना की जाती थी। लेकिन वर्ष 2005 ई.में जयपुर से संगमरमर की भव्य और आकर्षक माता दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की गई। तब से चारों नवरात्र में यहां कलश स्थापना कर माता की आराधना की जाती है। वहीं सालोंभर सुबह शाम दुर्गा सप्तशती पाठ और देवी गीत भक्तों की आकर्षण का केंद्र है।

बयान

सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद और मन्नत माता रानी पूरी करती हैं। माताओं द्वारा यहां खोईंछा भरने की परंपरा है। सालों भर सुबह-शाम होने वाले सप्तशती पाठ और देवी गीत भक्तों का आकर्षण का केंद्र है।

विमल कुमार झा, पुजारी


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