संदिग्ध की मौत ने खड़े किए कई सवाल, सात दिन पूर्व क्यों नहीं कराई जांच
पटोरी के क्वारंटाइन सेंटर में 42 वर्षीय व्यक्ति की मौत से चिकित्सा कर्मियों में हड़कंप है। मोहिउद्दीननगर का यह युवक 14 मार्च को ही बीमार होने के बाद दिल्ली से अपने घर लौटा था। उस वक्त दिल्ली में कोरोना वायरस से पीड़ितों की संख्या लगातार बढ़ रही थी।
समस्तीपुर । पटोरी के क्वारंटाइन सेंटर में 42 वर्षीय व्यक्ति की मौत से चिकित्सा कर्मियों में हड़कंप है। मोहिउद्दीननगर का यह युवक 14 मार्च को ही बीमार होने के बाद दिल्ली से अपने घर लौटा था। उस वक्त दिल्ली में कोरोना वायरस से पीड़ितों की संख्या लगातार बढ़ रही थी। बाहरी लोग अपने-अपने घर भाग रहे थे। उस युवक में भी खांसी, बुखार तथा पैर हाथ में सूजन के लक्षण थे। 23 मार्च तक वह घर में ही रहा। उसी दिन तकलीफ होने पर मोहिउद्दीननगर पीएचसी में इलाज कराने पहुंचा। वहां भी जांच कर दवा दी गई। 27 मार्च तक उसकी तबीयत ठीक रही। 28 को जब बाहर से आए लोगों की खोज खबर ली गई तो उसे भी पटोरी के अनुमंडलीय अस्पताल लाया गया। यहां बुखार आदि की जांच की गई। किसी तरह का संदिग्ध लक्षण नहीं मिला। ऐतिहातन उसे क्वारंटाइन सेंटर भेज दिया गया।
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दिल्ली से आने के बाद परिवार के साथ रह रहा था युवक
चिकित्सा प्रभारी ने बताया कि इस अंतराल में उसे कभी-कभी बुखार की भी शिकायत थी। स्थानीय सभी जांच करवाई गई। बुखार और खांसी होने के बावजूद उस वक्त उसका कोविड-19 का टेस्ट नहीं कराया गया। हालांकि, चिकित्सकों का कहना है कि उसमें कोविड-19 के पॉजिटिव होने का कोई संकेत नहीं है। फिर भी खांसी और यदा-कदा बुखार होने के बाद उसकी जांच कराई जानी चाहिए थी। 14 मार्च को दिल्ली से आने के बाद वह अपने परिवार वालों के साथ ही रह रहा था। इस बीच उसने मोहिउद्दीननगर के भी चिकित्सकों से अपनी जांच करवाई। इस तरह वह कितने लोगों के संपर्क में आया, इसकी भी सूची बनाई जाए। फिलहाल सभी प्रशासनिक और चिकित्सा अधिकारियों की निगाहें उसकी जांच रिपोर्ट पर टिकी हुई हैं।
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