अवैध निर्माण से तंग गलियों में तब्दील हो रही सड़कें
नगर परिषद क्षेत्र में नियम कायदों को ताक पर रखकर बिना नक्शा पास कराए धड़ल्ले से आवासीय तथा व्यावसायिक भवनों का निर्माण हो रहा है।
समस्तीपुर । नगर परिषद क्षेत्र में नियम कायदों को ताक पर रखकर बिना नक्शा पास कराए धड़ल्ले से आवासीय तथा व्यावसायिक भवनों का निर्माण हो रहा है। इससे एक तरफ नगर प्रशासन को हर साल लाखों रुपये के राजस्व की क्षति हो रही है, वहीं दूसरी ओर अनियोजित भवन निर्माण के कारण कस्बे की सूरत खराब हो रही है। इससे आम लोगों को भी काफी समस्या हो रही है। विभाग को महीनों बाद सूचना मिलती है। जब पानी या फिर बिजली सप्लाई के लिए लोगों को नगर परिषद के कागजात की जरूरत पड़ती है। शहर में कई ऐसी सकड़ी गली है, जहां ठेला भी आसानी से नहीं पहुंच सकता। भूकंप या किसी अनहोनी में लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। इस बावत नगर प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी खुद स्थिति से वाकिफ होने के बावजूद साल में एक बार मुनादी कराकर कर्तव्य से पल्ला झाड़ लेते हैं। इतना सब कुछ होने के बावजूद विगत कई वर्षो से ऐसा ही चल रहा है। खुद का मकान हर व्यक्ति का सपना होता है। इसके लिए लोग मकान बनाने से पहले काफी तैयारी करते हैं। प्राइवेट इंजीनियर से नक्शा तैयार कराते हैं। नियमानुसार नक्शा को नगर परिषद से स्वीकृत कराना अनिवार्य होता है। लेकिन पैसा बचाने के लालच में लोग नक्शा पास नहीं करवाते हैं। बिना परमिशन के मनमर्जी भवन निर्माण कराते हैं। जो लोग नक्शा पास कराते हैं, वो नक्शा के अनुसार काम नहीं करवाते हैं। स्वीकृत नक्शा के बजाय निर्माण का दायरा बढ़ाकर सड़क व आसपास की खाली जमीन पर भी मकान खड़े किए जा रहे हैं। ऐसे में नक्शा पास कराना और नहीं कराना बराबर हो जाता है। जिला बनने के बाद काफी तेजी से शहर का विकास हुआ है। वर्तमान में शहर का विस्तार मोहनपुर से चीनी मिल चौक व ताजपुर रोड धर्मपुर से जितवारपुर से आगे की ओर बढ़ता जा रहा है। आसपास तेजी से भवन निर्माण का कार्य चल रहा है। शहर में प्रत्येक वर्ष सैंकड़ों की संख्या में नए मकान तथा व्यावसायिक परिसर बन रहे हैं। मकान बनाने से पूर्व नियमानुसार नगर परिषद से अनुमति और नक्शा पास कराना जरूरी है। लेकिन शहर में अधिकांश लोग भवन निर्माण करने से पहले नगर परिषद से परमिशन व नक्शा पास नहीं कराते हैं। अनुमति शुल्क जमा कराने के बाद भवन पंजीकृत हो जाता है। जिससे संपत्ति की वसूली होने लगती है। यही वजह है कि नक्शा पास कराने के शुल्क और संपत्तिकर को बचाने के चक्कर में ज्यादातर बिना स्वीकृति मनमाफिक तरीके से मकान निर्माण कराते हैं। वहीं भवन निर्माण करा रहे लोगों का कहना है कि नगर परिषद से मकान की परमिशन आसानी से नहीं मिलती है। इसके लिए आवदेकों को अधिकारी, कर्मचारी, कार्यालय का चक्कर काटना पड़ता है। इसी झंझट से बचने लिए लोग भवन बनाने से पहले अनुमति लेने से बचते हैं। यह भी शिकायत है कि बिना भवन निर्माण के मामलों में कार्रवाई के नाम पर संबंधित कर्मचारी सुविधा शुल्क लेकर खामोश हो जाते हैं।
शर्तो का पालन नहीं करते जिम्मेदार
अधिकांश लोग भवन बनाने से पूर्व लोग अनिवार्यता को ध्यान में रखकर नक्शा पास करा लेते हैं। लेकिन नगर परिषद द्वारा स्वीकृति के लिए लगाई गई शर्तों का पालन कराने पर जिम्मेदारी अधिकारी ध्यान नहीं देते। वहीं आमतौर पर भवन निर्माता को भी इस बात से कोई सरोकार नहीं होता है कि मकान बनाते समय कहां कितनी जगह छोड़ना जरूरी है। पानी का निकासी कहां से करना है, छत का पानी कहां गिरना चाहिए। लोगों की कोशिश रहती है कि उनकी एक इंच भी जगह नहीं छूटना चाहिए। और सरकारी जगह को भी अपने हिस्से में लिया जाए। इस लालच में भवन के हिस्से सड़क तक आ जाते हैं। जिससे दूसरे लोगों को भी समस्याएं पैदा होती है।
नगर परिषद को संपत्ति कर में लाखों का घाटा
नगर परिषद की परमिशन और नक्शा स्वीकृत कराए बिना मकान व दुकान बनाने का सीधा नुकसान नगर परिषद को राजस्व घाटा के रुप में उठाना पड़ता है। जब नक्शा स्वीकृत नहीं होगा, तो न तो परमिशन शुल्क मिलेगा और न ही आगे चलकर संपत्ति कर की राशि मिलेगी। इससे नगर परिषद को हार साल लाखों रुपये राजस्व की चपत लग रही है। भवन निर्माण के लिए करें आवेदन जमा
शहर में प्रत्येक वर्ष सैकड़ों की संख्या में नए मकान व व्यवसायिक परिसर का निर्माण हो रहा है। निर्माण से पूर्व नगर परिषद से स्वीकृति लेने के लिए लोगों को अपने जमीन के कागजात का फोटो कांपी मालगुजारी रशीद के साथ नगर परिषद द्वारा प्रतिनियुक्त आर्किटेक्ट इंजीनियर से संपर्क करें। जिसके बाद मकान का नक्शा तैयार कराकर ऑनलाइन आवेदन जमा करना होगा। स्वीकृति मिलने के बाद ही नक्शा के अनुरुप भवन का निर्माण करें। इसके लिए लोगों को निर्धारित शुल्क जमा करना होगा। आवासीय भवन पर आठ हजार विकास शुल्क तथा बि¨ल्डग एरिया के अनुसार निर्माण शुल्क निर्धारित है। वहीं वाणिज्य भवन के लिए 16 हजार विकास शुल्क तथा बि¨ल्डग ऐरिया के अनुसार विकास शुल्क निर्धारित है। वहीं एक साथ आवासीय तथा वाणिज्य के लिए भवन निर्माण हेतु 24 हजार विकास शुल्क तथा बि¨ल्डग एरिया के अनुसार विकास शुल्क निर्धारित है। भवन निर्माण के लिए 2018-19 वित्तीय वर्ष में मात्र 60 आवेदन प्राप्त हुए। जिसमें 47 भवन निर्माण को स्वीकृति दी गई। इसमें मानक पूरा नहीं होने पर 12 फाइल पें¨डग है, तथा एक को रिजेक्ट कर दिया गया। वहीं वित्तीय वर्ष 2017 में कुल 117 आवेदन प्राप्त हुए। इसमें 83 भवन निर्माण को स्वीकृति दी गई। वहीं 19 पें¨डग तथा 18 को रिजेक्ट कर दिया गया। वर्जन
अवैध निर्माण से लोगों को समस्या होती है। नगर परिषद क्षेत्र में अवैध निर्माण पर विधि सम्मत कार्रवाई की जा सकती है। निर्माण पर प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से लाखों रूपये जुर्माना तथा निर्माण को ध्वस्त किया जा सकता है। इसके लिए लोगों को जागरूक होने की आवश्यता है। भवन निर्माण से पूर्व नगर परिषद से स्वीकृति लेना अनिवार्य है।
राजेश कुमार झा, नगर प्रबंधक