कोरोना के बीच एईएस से जंग की तैयारी पूरी, सदर अस्पताल में तैयार हुआ पीकू वार्ड
समस्तीपुर। कोरोना संकट के साए में गर्मी के दस्तक के साथ ही जिले में एईएस चमकी बुखार का
समस्तीपुर। कोरोना संकट के साए में गर्मी के दस्तक के साथ ही जिले में एईएस चमकी बुखार का खतरा मंडराने लगा है। बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच एईएस से बचाव की तैयारी पर असर पड़ना तय है। भले ही जिले में एईएस चमकी बुखार का कोई मामला अभी सामने नहीं आया है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि इस बीमारी से निबटने को लेकर सारी तैयारियां पूरी कर ली गई है। एईएस चमकी बुखार की रोकथाम के साथ आवश्यक तैयारियों के साथ स्वास्थ्य विभाग की ओर से ग्राउंड लेवल पर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। सदर अस्पताल में 10 बेडों के पीकू वार्ड के साथ-साथ प्रत्येक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में दो-दो बेड के वार्ड बनाए गए हैं। इसकी रोकथाम व बचाव को लेकर आशा, आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका, चिकित्सा पदाधिकारी व 102 एंबुलेंस के सभी ईएमटी को आवश्यक ट्रेनिग दी जा चुकी है। वार्ड में वेंटीलेटर की हुई व्यवस्था : सदर अस्पताल में फिलहाल पीकू वार्ड तैयार कर लिया गया है। इसमें पाइपलाइन ऑक्सीजन के साथ वेंटीलेटर की भी व्यवस्था की गई है। सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भी एक-एक बेड को सुरक्षित रखा गया है। इसके लिए आवश्यक उपकरण व दवा भी उपलब्ध करा दी गई है। जबकि, कई प्रकार की अन्य दवाओं की खरीदारी की प्रक्रिया भी जारी कर दी गई है। एंबुलेंस में भी की गई हर तरह की सुविधा :
एईएस की रोकथाम के लिए जिले में सभी ईएमटी को प्रशिक्षण दिया गया है। उन्हें पीड़ित बच्चे के प्राथमिक इलाज की भी जानकारी दी गई है। एंबुलेंस में दवा, ऑक्सीजन तथा जरूरी उपकरण के मौजूद रहने से प्राथमिक चिकित्सा एंबुलेंस में ही हो जाएगी। वहीं पर मरीज का तापमान, शूगर का लेवल जैसी जांच संभव हो सकेगी। जरूरत पड़ने पर सॉल्यूशन या ग्लूकोज भी चढ़ाया जा सकेगा। वैसे बच्चे जिनको चमकी की समस्या होगी उन्हें तत्काल एक नोजल स्प्रे दिया जाएगा। इस स्प्रे का इस्तेमाल मिर्गी या चमकी को शांत करने के लिए होता है। यह नोजल स्प्रे प्रत्येक एंबुलेंस में उपलब्ध कराया गया है। क्या है चमकी बुखार के लक्षण :
सदर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. नागमणि राज ने बताया कि चमकी नाम की बीमारी में शुरूआत में तेज बुखार आता है। इसके बाद बच्चों के शरीर में ऐंठन शुरू हो जाती है। इसके बाद तंत्रिका तंत्र काम करना बंद कर देता है। इस बीमारी में ब्लड शुगर लो हो जाता है। बच्चे तेज बुखार की वजह से बेहोश हो जाते है और उन्हें दौरे भी पड़ने लगते है। जबड़े और दांत कड़े हो जाते है। बुखार के साथ ही घबराहट भी शुरू होती है और कई बार कोमा में जाने की स्थिति भी बन जाती है। अगर बुखार के पीड़ित को सही वक्त पर इलाज नहीं मिलता है तो मृत्यु हो सकती है।
'गर्मी को देखते हुए एईएस व जेई पीड़ित बच्चों के इलाज की व्यवस्था पूरी कर ली गई है। सदर अस्पताल में पीकू वार्ड एवं वेंटीलेटर तैयार कर लिया गया है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भी कार्य पूरा हो गया है। फिलहाल कोई मरीज नहीं आया है। रोस्टर के अनुसार चिकित्सक की ड्यूटी लगाई गई है। आवश्यक उपकरण व दवा की भी व्यवस्था पूरी की जा चुकी है।'
डॉ. सतीश कुमार सिन्हा
प्रभारी सिविल सर्जन, समस्तीपुर।