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खेत की जुताई की पर खाद की कमी से नहीं हो रही बोआई

समस्तीपुर । खेती के पीक सीजन में ट्रैक्टरों की गड़गड़ाहट से गांवों के खेत गुंज रहे हैं। पर खाद की भरी किल्लत के साथ-साथ महंगी जुताई मजदूरी पटवन खाद बीज कीटनाशक आदि के बढे दाम से किसानों के पसीने छूट रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 29 Nov 2021 11:44 PM (IST)Updated: Mon, 29 Nov 2021 11:44 PM (IST)
खेत की जुताई की पर खाद की कमी से नहीं हो रही बोआई
खेत की जुताई की पर खाद की कमी से नहीं हो रही बोआई

समस्तीपुर । खेती के पीक सीजन में ट्रैक्टरों की गड़गड़ाहट से गांवों के खेत गुंज रहे हैं। पर खाद की भरी किल्लत के साथ-साथ महंगी जुताई, मजदूरी, पटवन, खाद, बीज, कीटनाशक आदि के बढे दाम से किसानों के पसीने छूट रहे हैं। कृषि पर आधारित प्रखंड के अधिकांश लोगों के जीवन का मुख्य आधार कृषि है। रबी की बुआई में किसान दिन- रात एक किए हुए हैं। लेकिन रासायनिक उर्वरकों की कमी से उन्हें परेशानी हो रही है। गेहूं, मक्का, आलू, दलहन, तेलहन के साथ कई अन्य नकदी फसलों का यह मुख्य समय है। महंगाई और कृषि सामग्रियों की उपलब्धता की कमी की मार झेल रहे किसानों के लिए खेती मजबूूरी है। पैक्स से लेकर बाजार तक नहीं मिल रहे खाद

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इस वर्ष हुई अत्यधिक वर्षा के कारण निचले क्षेत्रों में अब भी जलजमाव की स्थिति बनी हुई है। इस वजह से इन क्षेत्रों में रोपाई का कार्य देर से होगा। लेकिन उपरी खेतों में रबी की खेती के लिए अधिकांश खेतों की जुताई कर ली गई है। खाद की कमी के कारण किसानों का खेती में विलंब हो रहा है। प्रखंड के अधिकांश पैक्सों में खाद का पता ही नही है। कुछ में बहुत ही सीमित मात्रा में उपलब्ध हुआ। दुकानों में भी डीएपी, मिक्सचर, पोटाश जैसे आवश्यक उर्वरक नदारत है। कुछ चोरी-छिपे मनमानी दर पर बेच रहें हैं। वह भी साथ में कुछ फसलों के टॉनिक, जाईम आदि लेने के शर्तों के साथ। कोई भी अधिकारी इस पर कुछ बोलना नहीं चाहते है। गावपुर पैक्स अध्यक्ष विद्यानंद सिंह बताते है कि पैक्स को एक माह से डीएपी तथा बीस दिन से मिक्सचर की आपूर्ति नहीं हो पाई है।

यंत्रों और खाद पर निर्भता बनी विवशता

बढते यंत्रों का चलन कृषि क्षेत्र की कठिनाइयों को भी सुलभ बना दिया है। आज स्थिति यह हो गई है कि कृषि यंत्र पर ही अधिकांश किसानों की खेती निर्भर है। अब जरूरत के हिसाब से महंगे दर पर खेतों की जुताई के लिए हल, कल्टीवेटर, झाल, रोटावेटर आदि का उपयोग किसानों की विवशता बन गई है। साथ ही तैयार गेहूं की थ्रेसिग, मक्का वाल छुड़ाने का कार्य आदि अब मशीन से ही होती है। ट्रैक्टर से प्रति कट्ठे जुताई हल से 60 रुपये कल्टी या झाल से 70 से 80 रुपये, रोटावेटर से 80 से 90 रुपये किसानों को देना पड़ रहा है। इधर, हाल में तैयार हुए धान 11 से 12 सौ रुपये प्रति क्विटल में बेचने के लिए किसान मजबूर है। पैक्स के माध्यम से किसानों का धान बिक नहीं रहा, जबकि सरकार द्वारा 1940 रुपये धान खरीद के लिए एमएसपी निर्धारित की की गई है।

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- कहते हैं किसान :

मुरियारो गांव के किसान सह सेवानिवृत्त कनीय अभियंता चन्देश्वर सिंह कहते है कि खेतों की जुताई तो करा दी है। लेकिन उर्वरक के अभाव में बुआई नहीं करा पा रहे हैं। डिहुली के किसान रामसंजीवन सिंह कहते है डीजल की बढी कीमत से जुताई और खाद काफी महंगा हो गया है। इससे खेती प्रभावित हो रही है। चैता कि किसान संजीत कुमार पांडेय बताते है कि खाद की कमी और महंगाई की मार से किसान परेशान है।


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