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शहरवासियों का खून चूस रहे मच्छर, मक्खी मार रहा सिस्टम

शहर में मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। इनके डंक से शहरवासियों का जीना मुहाल हो रहा। दिन हो या रात मच्छर शहरवासियों का खून चूस रहे। इनसे मुक्ति दिलाने का जिम्मा जिनके पास है वे मच्छरों की जगह मक्खी मार रहे। इनसे मुक्ति दिलाने का वादा कर कुर्सी पानेवाले पार्षद भी अपना वादा भूल गए। न फॉगिग हो रही और न ही छिड़काव।

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 Nov 2019 01:08 AM (IST)Updated: Wed, 27 Nov 2019 06:14 AM (IST)
शहरवासियों का खून चूस रहे मच्छर, मक्खी मार रहा सिस्टम
शहरवासियों का खून चूस रहे मच्छर, मक्खी मार रहा सिस्टम

समस्तीपुर । शहर में मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। इनके डंक से शहरवासियों का जीना मुहाल हो रहा। दिन हो या रात, मच्छर शहरवासियों का खून चूस रहे। इनसे मुक्ति दिलाने का जिम्मा जिनके पास है, वे मच्छरों की जगह मक्खी मार रहे। इनसे मुक्ति दिलाने का वादा कर कुर्सी पानेवाले पार्षद भी अपना वादा भूल गए। न फॉगिग हो रही और न ही छिड़काव। मच्छर उन्मूलन अभियान के लिए खरीदी गई अधिकतर फॉगिग मशीन नप कार्यालय में पिछले एक साल से खराब पड़ी हैं और शोभा की वस्तु बनी हैं। इनकी मरम्मत की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा। मच्छरों के कारण शहर एवं उसके आसपास रहनेवाले लाखों लोगों की नींद हराम हो चुकी है। पहले रात में उनका दंश झेलना पड़ता था, अब दिन में भी चैन नहीं। ये मच्छर मलेरिया, कालाजार, डेंगू जैसे संक्रामक रोगों का प्रकोप बढ़ा रहे।

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हाकिमों को नहीं काटते मच्छर

ये मच्छर शायद हाकिमों को नहीं काटते। अगर, काटते तो जनता की परेशानी और तकलीफ का एहसास होता। अभी शहर से लेकर प्रखंडों तक में डेंगू का प्रकोप बढ़ा है। अनुमंडल से लेकर सदर अस्पताल तक में मच्छर काटने से पनपे संक्रामक रोगों के मरीज आ रहे। इनमें गंभीर रूप बीमार कई मरीजों को पटना तक रेफर किया जा चुका है, बावजूद इसके मच्छरों के उन्मूलन पर ध्यान नहीं दिया जा रहा।

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घर के बजट में शामिल हुई मच्छर उन्मूलन की दवा

मच्छरों के काटने से शहरवासी मलेरिया, डेंगू जैसी संक्रामक बीमारियों के शिकार हो रहे। बीमार होने पर इलाज के लिए लोगों को बड़ी राशि खर्च करनी पड़ती है। दूसरी तरफ मच्छरों से बचने की वैकल्पिक व्यवस्था अर्थात साधनों पर भी जेब ढीली करनी पड़ती है। पर, इससे निगम प्रशासन को क्या लेना-देना। उसे तो बस जनता से टैक्स वसूली तक मतलब है। अभी लोगों के घर में बननेवाले मासिक बजट में इसे शामिल कर लिया गया है। एक परिवार मासिक तौर पर कम से कम तीन से चार सौ रुपये इसपर खर्च करता है। सालाना जोड़ें तो यह चार हजार रुपये तक पहुंच जाता है।

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शहर की साफ-सफाई पर भी नहीं ध्यान

शाम ढलते ही मच्छरों का हमला शुरू हो जाता है। नालों में गंदगी के कारण जलजमाव की स्थिति रहती है। ऐसे में मच्छरों का पनपना स्वाभाविक है। शहर के विभिन्न इलाकों और मोहल्लों में जगह-जगह कचरे का ढेर लगा है। उनका न तो नियमित उठाव होता है और न ही डंपिग की जाती है। वहां मौजूद जानवर और कुत्तों का झुंड उसे सड़कों पर बिखेरते रहते हैं। बीएड कॉलेज मोहल्ले में सालोंभर जलजमाव की स्थिति रहती है। पानी में जमी गंदगी से सड़ांध फैल रही है।

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जिलाधिकारी को दिया जा चुका ज्ञापन

नगर परिषद वार्ड-23 निवासी पार्षद प्रदीप साह शिवे ने सोमवार को जिलाधिकारी शशांक शुभंकर को एक आवेदन भेजकर मच्छरों के बढ़ते प्रकोप को लेकर चिता जाहिर की थी। उन्होंने शहर में नियमित फॉगिग कराने की मांग की। उन्होंने मच्छरों के बढ़ते प्रकोप से डेंगू जैसी खतरनाक बीमारियों के पनपने को लेकर भी ध्यान आकृष्ट कराया था।

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शोभा की वस्तु बनी मशीन

मच्छर उन्मूलन और छिड़काव के लिए नगर परिषद में 29 छोटी और एक बड़ी मशीन है। लेकिन, इनमें कथित तौर पर चार ही ठीकठाक हालत में हैं। अब इन्हीं के सहारे 29 वार्ड में छिड़काव या फॉगिग की जिम्मेदारी है। ऐसे में उन्मूलन अभियान कहां तक संभव हो पाएगा, भगवान ही मालिक है।

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वर्जन

हाल ही में प्रत्येक वार्डो में फॉगिग कराई गई है। खराब पड़ी फॉगिग मशीन को जल्द ही दुरुस्त कराया जाएगा। शहर में नियमित रूप से सफाई कराई जा रही। नालों में उड़ाही का कार्य जारी है।

रजनीश कुमार

कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद


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