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समस्तीपुर में बढ़ा मच्छरों का प्रकोप, मक्खी मार रहा सिस्टम

नगर निगम की दो लाख की आबादी के लिए महज दो ही फागिग मशीनें कार्यरत हैं। वैसे मच्छर उन्मूलन और छिड़काव के लिए 16 पोर्टेबल और एक बड़ी मशीन यहां रखी है लेकिन इसमें कथित तौर पर दो पोर्टेबल मशीन ही ठीक है। अब इन्हीं के सहारे शहर के सभी 29 वार्डो में छिड़काव व फागिग की तैयारी है। ऐसे में मच्छरों का उन्मूलन कैसे संभव हो पाएगा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 07 Dec 2021 02:10 AM (IST)Updated: Tue, 07 Dec 2021 02:10 AM (IST)
समस्तीपुर में बढ़ा मच्छरों का प्रकोप, मक्खी मार रहा सिस्टम
समस्तीपुर में बढ़ा मच्छरों का प्रकोप, मक्खी मार रहा सिस्टम

समस्तीपुर । नगर निगम की दो लाख की आबादी के लिए महज दो ही फागिग मशीनें कार्यरत हैं। वैसे मच्छर उन्मूलन और छिड़काव के लिए 16 पोर्टेबल और एक बड़ी मशीन यहां रखी है, लेकिन इसमें कथित तौर पर दो पोर्टेबल मशीन ही ठीक है। अब इन्हीं के सहारे शहर के सभी 29 वार्डो में छिड़काव व फागिग की तैयारी है। ऐसे में मच्छरों का उन्मूलन कैसे संभव हो पाएगा। खराब पड़ी मशीन को दुरुस्त करने के लिए स्थानीय स्तर पर कोई व्यवस्था नहीं है। जबकि एक पोर्टेबल मशीन की कीमत करीब 70 हजार रुपये के आसपास है। ऐसे में लाखों खर्च के बावजूद नागरिकों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। वैसे नगर प्रबंधक राजेश कुमार बताते हैं कि अभियान चलाकर सभी वार्डों में फागिग कराई गई है। जलभराव वाले स्थान पर एंटी लार्वा का छिड़काव भी कराया गया है। खराब पड़ी मशीनों को दुरुस्त कराने की पहल की जा रही है।

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पूरे वार्ड में नहीं हो पाती फागिग

नगर निगम ने शहर में फागिग का जो अभियान चला, उसके तहत रोजाना छह वार्डो में फागिग कराई जानी है। फागिग के लिए निगम के पास दो ही पोर्टबेल मध्यम आकार की मशीनें है। ऐसे में वार्ड की तमाम गलियों में फागिग नहीं हो पाती है। इसकी शिकायत शहरवासी करते हैं। शाम ढलते ही विषैले मच्छरों का प्रकोप भी शुरू हो गया है। नालों की अधूरी सफाई ने हालात और बेकाबू कर दिए। शहर के कई स्थानों में जमा पानी मच्छरों को माकूल माहौल देने के लिए काफी है।

घर के बजट में शामिल हुई मच्छर उन्मूलन की दवा

विषैले मच्छरों से संक्रामक रोग का खतरा बना रहता है। बीमार होने पर इलाज के लिए लोगों को बड़ी राशि खर्च करनी पड़ती है। दूसरी तरफ मच्छरों से बचने की वैकल्पिक व्यवस्था अर्थात साधनों पर भारी जेब ढीली करनी पड़ती है। इसके लिए घर के मासिक बजट में इसे शामिल किया गया है। एक परिवार मासिक तौर पर कम से कम तीन से चार सौ रुपये इसपर खर्च करता है।


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