राम मिले रहमान से बातें हुई अनेक, लड़ते हैं वे व्यर्थ ही हम तुम दोनों..
केंद्रीय विद्यालय के कुसुम सदन में कुसुम पांडेय स्मृति साहित्य संस्थान के तत्वावधान में काव्य संध्या का आयोजन किया गया। इसमें दूर- दूर से बड़ी संख्या में रचनाकार उपस्थित हुए। डॉ. रामेश गौरीश ने सभी रचनाकारों का स्वागत किया।
समस्तीपुर । केंद्रीय विद्यालय के कुसुम सदन में कुसुम पांडेय स्मृति साहित्य संस्थान के तत्वावधान में काव्य संध्या का आयोजन किया गया। इसमें दूर- दूर से बड़ी संख्या में रचनाकार उपस्थित हुए। डॉ. रामेश गौरीश ने सभी रचनाकारों का स्वागत किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्यकार डॉ. नरेश कुमार विकल ने की। जबकि, संचालन प्रवीण कुमार चुन्नू ने किया। राष्ट्रीय स्तर के गजलकार नाशाद औरंगाबादी तथा डॉ. रामपुनीत ठाकुर तरुण विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। काव्य गोष्ठी की शुरुआत करते हुए शिवेंद्र कुमार पांडेय ने कहा, विश्वविद्यालयों में अराजकता, पीढ़ी का असंतोष झलकता है, हर जगह आतंक फैलाने में, इनका सहयोग सभी को मिलता है। पंकज कुमार देव ने कहा, बिक चुका अब धर्म और ईमान है, आदमीयत की नहीं पहचान है। डॉ. रामपुनीत ठाकुर ने कहा, राम मिले रहमान से, बातें हुईं अनेक, लड़ते हैं वे व्यर्थ ही, हम तुम दोनों एक। नाशाद औरंगाबादी ने कहा, वो दिन या वो रात नहीं है, पहली सी वो बात नहीं है, कहने को हम एक हैं लेकिन, कोई किसी के साथ नहीं है। डॉ. नरेश कुमार विकल ने सरसों के छंद बंद, होंठ सिल गए, पगडंडी धूलों को पंख मिल गए, उठने लगे फफोले मेंहदी के पांव में, कैसे लौट जाऊं मीत पुन: गांव में। राज कुमार राजेश ने कहा, पतझड़ का जब हो जाता अंत, तब ही आता मादक बसंत, राजेश अमर संदेश यही, सुख दु:ख से जीवन प्राणवंत। अन्य कवियों ने भी अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। कार्यक्रम के प्रारंभ में संस्था के अध्यक्ष शिवेंद्र कुमार पांडेय ने फरवरी महीने में उत्पन्न हिन्दी के आधार स्तंभ आचार्य नलीन विलोचन शर्मा, नरेंद्र शर्मा, खुशवंत सिंह, कृष्णा सोबती, मुन्नी लाल कंज, सरोजिनी नायडू के साथ ही सुप्रसिद्ध ग़•ाल गायक जगजीत सिंह, गीतकार मो. जहूर खय्याम हाशमी तथा चरित्र अभिनेता अवतार कृष्ण हंगल के व्यक्तित्व तथा कृतित्व पर विस्तार से बताया। साथ ही उनके प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित किया। साहित्यकार अभिमन्यु सिंह मधुर के आकस्मिक निधन पर शोक व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की गई।