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मां भगवती के दर से नहीं लौटता कोई खाली हाथ

समस्तीपुर। मनीपुर भगवती स्थान। जिला मुख्यालय से तीन किलोमीटर दूर वारिसरनगर प्रखंड के मन्नीपुर में स्थित है। इस स्थान की महिमा अपरंपार है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 05 Apr 2019 10:57 PM (IST)Updated: Fri, 05 Apr 2019 10:57 PM (IST)
मां भगवती के दर से नहीं लौटता कोई खाली हाथ
मां भगवती के दर से नहीं लौटता कोई खाली हाथ

समस्तीपुर। मनीपुर भगवती स्थान। जिला मुख्यालय से तीन किलोमीटर दूर वारिसरनगर प्रखंड के मन्नीपुर में स्थित है। इस स्थान की महिमा अपरंपार है। इस स्थान की ख्याति दूर-दूर है। कहते हैं यहां आने वालों की हर मुरादें पूरी होती है। कोई भी यहां से खाली हाथ नहीं लौटता है। वैसे तो प्रत्येक दिन यहां सैकड़ों श्रद्धालु पहुंचते हैं। लेकिन नवरात्र में विशेष भीड़ जुटती है। खासकर सप्तमी, अष्ठमी और नवमी को। बड़ी संख्या में महिलाएं मांग खोईंछा भरने पहुंचती हैं। सौ वर्ष पूर्व हुई थी स्थापना

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आज से तकरीबन सौ वर्ष पूर्व यहां माता की स्थापना हुई। तब एक साधारण सी झोपड़ी थी। उसके बाद एक छोटा सा पक्का मकान बना। बाद में आगे से एक बड़ा द्वार तथा भव्य आकृति बनाई। इस पुराने मंदिर के पीछे एक भव्य मंदिर का निर्माण कर माता को उसमें स्थापित किया गया है। मंदिर की स्थापना के इतिहास के बारे में पुजारी कमलेश कुमार झा बताते हैं कि इस क्षेत्र में हैजा का भयानक प्रकोप हुआ। बहुत लोग काल कवलित हो गए। एक ग्रामीण को इससे निजात पाने के लिए माता की स्थापना करने का स्वप्न मिला। उसके बाद यहां माता स्थापित हुई और सबकुछ सामान्य हुआ। नए मंदिर के आगे पुराने मंदिर के गर्भगृह वाले जगह माता का चरण बनाया गया है। दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। गर्भगृह में माता की भव्य प्रतिमा है जो बेहद आकर्षक है। मंदिर का तोरण द्वारा लाल रंग का है। जिसपर मनमोहक आकृतियां बनाई गई है। सामने पूरी तरह प्राकृतिक वातावरण है। एक तालाब है। पेड़ पौधे लगे हैं। भव्य तरीके से की जाती है सजावट चैत्र नवरात्र में मंदिर को बड़े ही आकर्षक ढंग से सजाया जाता है। तरह-तरह के फूलों की लड़ियां लगाई जाती है। दूर-दूर धूप व धूमन की खुशबू फैलती रहती है। मंदिर के आसपास के क्षेत्र की पूरी तरह साफ-सफाई कराई जाती है। पूरा परिसर चकाचक दिखता है। मंदिर तक जाने का मार्ग

मंदिर वारिसनगर के मन्नीपुर गांव में अवस्थित है। समस्तीपुर शहर से यहां जाने के लिए मगरदही पुल पार कर मथुरापुर घाट पर जाना है। मथुरापुर घाट से वारिसनगर की और जाने वाली सड़क में तकरीबन तीन किलोमीटर जाने के बाद मन्नीपुर गांव है। मुख्य सड़क से इधर से जाने में बायीं ओर एक तोरणद्वार है। इसी से मुड़कर मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। दूसरा रास्ता मुक्तापुर गुमटी से भी मन्नीपुर गांव की ओर मुड़ता है। इस रास्ते से भी मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। कहते हैं पुजारी

फोटो : 05 एसएएम 38

यह मंदिर मनोकामना पूरी करने के लिए चर्चित है। यहां आने वालों की हर मुरादें पूरी होती है। यहां माथा टेकने वालों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं असीम शांति मिलती है। आम दिनों भी यहां सैकड़ों लोगों की भीड़ जुटती है। नवरात्र में विशेष पूजा अर्चना होती है।

कमलेश कुमार झा, पुजारी।


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