राम कथा कल्प वृक्ष, सबके लिए समान रूप से फलदायी
राम कथा प्राणी मात्र के लिए समान रूप से फलदायी है। राम कथा कल्प वृक्ष है।
समस्तीपुर। राम कथा प्राणी मात्र के लिए समान रूप से फलदायी है। राम कथा कल्प वृक्ष है। कथा के श्रवण, मनन, लगन एवं चितन से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। उक्त बातें उज्जैन से पधारी साध्वी प्रभु प्रिया ने कहीं। वे श्रीराम कथा का वाचन करते हुए पूसा प्रखंड के श्रीरामपुर अयोध्या गांव में नौ दिवसीय श्री रामकथा के पहले दिन प्रवचन कर रही थीं। कहा कि श्री राम चरित मानस सभी वेदों का सार है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने बताया है कि बन्दौं भवानी शंकरौ श्रद्धा विश्वास रुपिणौ। यानि मां पार्वती श्रद्धा एवं भगवान शंकर विश्वास है। जिनका इनमें मन रम गया, वह भवसागर से उबर गया। गोस्वामी तुलसीदास ने राम चरित मानस की रचना सरल भाषा में करके आम लोगों को सुलभ कराया। जिसे हर जाति, वर्ग समुदाय के लिए समान रूप से लाभकारी सिद्ध होता है। मानस की रचना करने के पूर्व गोस्वामी तुलसीदास ने मां सरस्वती एवं प्रथम पूज्य गणेश जी की वंदना की। उन्होंने सियाराम मय सब जग जानी। करहुं प्रणाम जोरी जुग पानी। लिखकर सभी से मानस की रचना में सहयोग मांगा। कथा का प्रारंभ हनुमानजी की आराधना से हुई। श्री राम कथा का विधिवत उद्घाटन डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के अवकाशप्राप्त एग्रोनौमी विभागाध्यक्ष डॉ. नवलकिशोर चौधरी के मंगलाचरण से हुई। नौ दिवसीय रामकथा स्थल पर मुख्य यजमान रामाशंकर चौधरी एवं कृष्णा चौधरी ने हनुमत ध्वजारोहण कर पूजा अर्चना की। कथा में बड़ी संख्या में श्रोताओं की उपस्थिति रही।