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लाख विपत्ति आए, नहीं छोड़ें धर्म की राह

समय-समय पर ईश्वर अपने भक्तों से उसकी परीक्षा लेते हैं। मानव पर विपत्ति आए तो यह समझना जरूरी है कि भगवान उसकी परीक्षा ले रहा है। इस विपत्ति काल में जो घबराकर अधर्म के मार्ग पर चल पड़ा उसे कभी जीवन में न धर्म की प्राप्ति होगी और न ही वही सुखी हो पाता है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Jan 2020 12:43 AM (IST)Updated: Thu, 23 Jan 2020 12:43 AM (IST)
लाख विपत्ति आए, नहीं छोड़ें धर्म की राह
लाख विपत्ति आए, नहीं छोड़ें धर्म की राह

समस्तीपुर । समय-समय पर ईश्वर अपने भक्तों से उसकी परीक्षा लेते हैं। मानव पर विपत्ति आए तो यह समझना जरूरी है कि भगवान उसकी परीक्षा ले रहा है। इस विपत्ति काल में जो घबराकर अधर्म के मार्ग पर चल पड़ा, उसे कभी जीवन में न धर्म की प्राप्ति होगी और न ही वही सुखी हो पाता है। सुदामा चरित्र इसका उदाहरण है। जो ईश्वर का परम मित्र था, फिर भी ईश्वर ने उसकी परीक्षा ली। कठिन दौड़ में भी सुदामा ने कभी अपने धर्म को नहीं छोड़ा। जब ईश्वर की कृपा हुई तो वह राजा बन गया। उक्त बातें मोहिउद्दीननगर में वृंदावन श्रीधाम से पहुंची भागवत कथा वाचिका निधि और नेहा सारस्वत ने कही। उन्होंने कहा कि भागवत तो साक्षात ईश्वर का दर्शन है। वे बुधवार को कृष्ण-रुक्मिणी विवाह, सुदामा-कृष्ण की मित्रता आदि प्रसंगों पर विस्तार से चर्चा की। कृष्ण विवाहोत्सव की झांकी भी निकाली गई। इस दौरान कथा मंडप में बैठी श्रद्धालु भाव-विभोर हो गई। बुधवार को कथा के सातवें और अंतिम दिन कथा वाचिका ने लोगों से कहा कि आज कथा का विश्राम अवश्य हो रहा है, कितु कभी भी इससे नाता नहीं तोड़ना। यही जीवन का सच्चा साथी है।

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