भारतीय संस्कृति पूर्णत: वैज्ञानिक
समस्तीपुर। भारतीय संस्कृति पूर्णत वैज्ञानिक संस्कृति है। यूनान मिस्त्र रोम आदि कृतियां विश्व से मिट गई लेकिन आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक संस्कृति होने के कारण भारतीय संस्कृति आज भी अमिट है।
समस्तीपुर। भारतीय संस्कृति पूर्णत वैज्ञानिक संस्कृति है। यूनान, मिस्त्र, रोम आदि कृतियां विश्व से मिट गई, लेकिन आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक संस्कृति होने के कारण भारतीय संस्कृति आज भी अमिट है। उक्त बातें इतिहास के सुप्रसिद्ध विद्वान डॉ संजय झा ने स्थानीय केदार संत रामाश्रय महाविद्यालय में वैदिक परंपरा एवं संस्कृति चुनौतियां एवं समाधान विषय के राष्ट्रीय संगोष्ठी समारोह को संबोधित करते हुए कहीं। डॉ. संजय झा ने स्पष्ट किया कि भारतीय संस्कृति कर्म योगियों की संस्कृति है, आचरण की संस्कृति है, यह अमरता प्रदान करती है। इसलिए भारतीय संस्कृति सदा-सर्वदा से संपूर्ण विश्व का मार्गदर्शन करती रही है और करती रहेगी। एकमात्र वैदिक संस्कृति से ही भारत ही नहीं संपूर्ण विश्व का कल्याण होगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ. अयोध्या नाथ झा ने बताया कि भारतीय गणना पद्धति पूर्णतया वैज्ञानिक है। आज भारत में विदेशियों के द्वारा लिखित गलत इतिहास पढाया जा रहा है। गलत इतिहास को आज नए सिरे से फिर से लिखने की जरूरत आ गई है। विभागाध्यक्ष डॉ. झा ने बताया कि गलत इतिहास को वेदों के आधार पर ही सुधारा जा सकता है। इससे पूर्व एलएनएमयू के सीनेटर डॉ. विजय कुमार झा इतिहास प्राचीन इतिहास विभागाध्यक्ष मिहिर कुमार मिश्र ,अंकेश कुमार झा, डॉ. चंद्र मोहन झा, डॉ.अनिल कुमार झा, डॉ. दीपक कुमार चौधरी,डॉ. चंद्रमौलेश्वर झा द्वारा मिथिलांचल की रीति के अनुसार चादर, माला एवं पाग से आगत अतिथियों को सम्मानित किया गया । स्वागत भाषण प्राचीन इतिहास के विभागाध्यक्ष मिहिर कुमार मिश्र ने दिया, जबकि विषय प्रवेश इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. विजय कुमार झा ने कराया। संगीत विभाग की गायिका डॉ. आभा कुमारी एवं डॉ. विभा कुमारी तथा छात्राओं द्वारा भगवती वंदना एवं स्वागत गान प्रस्तुत किया गया। संस्कृत के विद्वान पंडित जगन्नाथ झा एवं डॉ. सतीश कुमार झा के द्वारा मंगलाचरण के साथ समारोह का शुभारंभ किया गया। समारोह को डॉ. मणिभूषण मिश्र, डॉ.भोला झा, डॉ. पीके राय, प्रो. अवधेश कुमार झा, प्रो. अनिल कुमार सिंह, डॉ. उमाकांत झा , डॉ. सुधीर कुमार सिंह, डॉ. चंद्र मोहन झा, डॉ. चंद्रशेखर झा, प्रो. जनार्दन चौधरी, प्रो. चन्द्र नारायण झा, बबलू कुमार आदि ने समारोह को संबोधित किया। समारोह की अध्यक्षता एवं धन्यवाद ज्ञापन प्राचार्य डॉ दुर्गाप्रसाद चौधरी ने किया संचालन प्रो. हरेकृष्ण प्रियदर्शी ने किया। मौके पर महाविद्यालय के सचिव परमानंद ईश्वर सहित महाविद्यालय के सभी शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मी मौजूद रहे।