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मशरूम उत्पादन का बढ़ा दायरा, बाजार में कई प्रोडक्ट

डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के संचार केंद्र सभागार में 21 दिनों से मशरूम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए चल रहे विटर स्कूल का सोमवार को समापन हुआ।

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Nov 2019 01:01 AM (IST)Updated: Tue, 26 Nov 2019 01:01 AM (IST)
मशरूम उत्पादन का बढ़ा दायरा, बाजार में कई प्रोडक्ट
मशरूम उत्पादन का बढ़ा दायरा, बाजार में कई प्रोडक्ट

समस्तीपुर । डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के संचार केंद्र सभागार में 21 दिनों से मशरूम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए चल रहे विटर स्कूल का सोमवार को समापन हुआ। मौके पर मुख्य अतिथि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली के एडीजी (शिक्षा) डॉ. पीएस पांडेय ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा मशरूम के क्षेत्र में किए गए कार्य काफी सराहनीय हैं। यहां से बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड सहित कई राज्यों के लोग मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण प्राप्त कर इससे जुड़ रहे हैं। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आरसी श्रीवास्तव के नेतृत्व में मशरूम वैज्ञानिक डॉ. दयाराम द्वारा मशरूम का प्रचार-प्रसार बड़े स्तर पर किया गया है। आदिवासी क्षेत्रों के लोग मशरूम को जानने लगे हैं। इसका सेवन भी करते हैं, यह अच्छी बात है। उन्होंने कहा कि देश भर में लगभग 25 पर्यावरण नियंत्रण केंद्र खोला गया है, जिससे लगभग एक टन प्रतिदिन मशरूम उत्पादन किया जाता है। मौके पर मौजूद कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति डॉ. आरसी श्रीवास्तव ने कहा कि मशरूम के क्षेत्र में विश्वविद्यालय राज्य एवं देश को नई दिशा दे रहा। गांव के किसान मशरूम उत्पादन के साथ-साथ अब इसके व्यवसाय से जुड़ने लगे हैं। उन्होंने कहा कि मशरूम के अन्य उत्पादन एवं व्यंजन के क्षेत्र में कार्य करने की अभी और जरूरत है। विश्वविद्यालय इस दिशा में भी कार्य करने जा रहा है। विश्वविद्यालय द्वारा मशरूम के बिस्किट, रसगुल्ले, सिघाड़ा सहित कई प्रोडक्ट बाजार में उतारा गया है। मौके पर सोलन के पूर्व निदेशक डॉ. मनजीत सिंह ने भी मशरूम के संबंध में विस्तार से बताया। अतिथियों का स्वागत विश्वविद्यालय के कृषि अनुसंधान निदेशक डॉ. मिथिलेश कुमार ने किया। प्रशिक्षण के संबंध में विस्तृत जानकारी मशरूम वैज्ञानिक डॉ. दयाराम ने दी। कार्यक्रम के दौरान प्रशिक्षण में भाग ले रहे बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश एवं ओडिशा के वैज्ञानिकों को कुलपति एवं मुख्य अतिथि द्वारा प्रमाण पत्र भी दिया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ सत्य नारायण मिश्र के स्वागत गान जय-जय-जय बिहार कृषि की से प्रारंभ हुआ।

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