गो सेवा से बरसती है ईश्वरीय कृपा
मानव जीवन में गाय और गंगा का बहुत ज्यादा महत्व है।
समस्तीपुर । मानव जीवन में गाय और गंगा का बहुत ज्यादा महत्व है। गो सेवा के माध्यम से मनुष्य ईश्वर की कृपा पात्र बन सकता है। गाय को माता का स्वरुप बताया गया है। इस मां की सेवा से पापों की बैतरनी पार करना भी संभव है। उक्त बातें अयोध्या से पधारे भागवत कथा मर्मज्ञ आचार्य विष्णु जी महाराज ने कही। नृत्य गोपाल दास जी के कृपा पात्र शिष्य थतिया गांव में आयोजित भागवत कथा महायज्ञ के दौरान शनिवार को प्रवचन देते हुए गाय-गंगा और वैष्णव पर विस्तार से चर्चा किया। उन्होंने राजा दिलीप के गो भक्ति का वर्णन करते हुए कहा कि इतिहास साक्षी है कि गाय निश्चित रूप से हमारी माता है और इनमें सभी देवी-देवताओं का निवास है। आचार्य ने गंगा के प्राकट्य पर प्रकाश डालते हुए उनकी महिमा का भी बखान किया। जबकि उपस्थित सैकड़ों श्रद्धालुओं को वैष्णव होने की सलाह देते हुए जीव हत्या जैसे पाप से बचने का आह्वान किया। वैष्णव होने के कई फायदों को गिनाते हुए धर्म और विज्ञान दोनों के मद्देनजर इसे मानव जीवन के लिए बेहतर बताया। मौके पर आचार्य के साथ आये टोली द्वारा प्रस्तुत भजन-कीर्तन ने श्रद्धालु श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। दूसरी ओर यज्ञ परिसर में सजी भगवान की झांकियां भी श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केन्द्र बनी है। खास कर बच्चे और महिलाओं की संख्या उक्त स्थल पर अत्यधिक देखी जा रही है। प्रतिदिन वैदिक मंत्रोच्चार से प्रारंभ होने वाले इस महायज्ञ से सम्पूर्ण क्षेत्र भक्तिमय हो चला है।