Move to Jagran APP

25 साल बाद भी विद्यापतिनगर प्रखंड को अपना कार्यालय भवन नहीं

समस्तीपुर। विद्यापतिनगर 25 वर्ष पूर्व अस्तित्व में आया विद्यापतिनगर प्रखंड आज ढाई दशक बाद भी अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Apr 2019 11:10 PM (IST)Updated: Sun, 07 Apr 2019 11:10 PM (IST)
25 साल बाद भी विद्यापतिनगर प्रखंड को अपना कार्यालय भवन नहीं
25 साल बाद भी विद्यापतिनगर प्रखंड को अपना कार्यालय भवन नहीं

समस्तीपुर। विद्यापतिनगर: 25 वर्ष पूर्व अस्तित्व में आया विद्यापतिनगर प्रखंड आज ढाई दशक बाद भी अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहा है। कई चुनाव आये और गए लेकिन सूरते हाल में कोई बदलाव नहीं आया। इसकी सुध न तो नेताओं ने ली और न हाकिमों ने। जी हां, हम बात कर रहे हैं 24 जनवरी 1994 में नवसृजित विद्यापतिनगर प्रखंड की। दलसिंहसराय अनुमंडल के अंतर्गत आने वाले यह प्रखंड मूलत: दलसिंहसराय प्रखंड के दक्षिणी हिस्से में स्थित 14 पंचायतों को मिलाकर स्वरूप में आया था। तब से लेकर आज तक कई बार प्रखंड कार्यालय के निर्माण की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन और आंदोलनात्मक रू़ख अखित्यार किया गया। उस समय नेताओं और जनप्रतिनिधियों द्वारा आश्वासन की घूंट पिलायी गई थी। चुनावी दौर में नेताओं ने मांगने से ज्यादा ही कुछ दे दिया। लेकिन,परिणाम ढाक के तीन पात ही साबित हुए। कभी किराए के मकान में तो कभी मजदूरों और किसानों के लिए बने ट्राइसम भवन में संचालित होना इसकी नियति बन गई है। वर्तमान समय में प्रखंड कार्यालय स्वर्ण जयंती स्वरोजगार योजना के तहत निर्मित प्रशिक्षण भवन में वर्ष 2011 से संचालित हैं। जहां महज दो कमरों से ही सभी विकासात्मक गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है। सामुदायिक भवन में चल रहा अंचल कार्यालय

loksabha election banner

अंचल कार्यालय अपने आस्तित्व के साढ़े तीन दशक बाद भी दो कमरे वाले सामुदायिक भवन में, थाना भवन पहले किराए के मकान में तो अब किसानों के लिए बनाए गए किसान भवन में चल रहा है। चौदह पंचायतों की लगभग सवा दो लाख की आबादी व एक लाख से अधिक मतदाताओं को अपने आंचल में समेटे प्रखंड कार्यालय में जनप्रतिनिधियों व जनता की कौन कहे यहां अधिकारियों के बैठने और विकास कार्य संचालित करने की जगह नहीं है। इससे इतर कई सरकारी कार्यालयों मसलन इंदिरा आवास, खाद्य आपूर्ति, कृषि, पीएचईडी, एलईओ, जेएसएस आदि दर्जनों कार्यालय अफसरों के बैग से ही संचालित हो रहा है। कई सरकारी संचिका जहां-तहां धूल फांक रही है। यहां यह भी बताना आवश्यक है कि वर्ष 2008 में इसके भवन निर्माण को लेकर काफी चर्चा हुई थी कि इसका निर्माण धमनी पोखर के समीप होने वाली है। प्रखंड से सुदूरवर्ती होने के कारण लोगों के भारी विरोध के कारण यहां निर्माण कार्य शुरू करने की कोशिश नहीं की गई। इसके बाद लोगों ने इस समस्या को प्रमुखता से उठाया। तब इसके पास ही अवस्थित एक निजी भूमि को अधिग्रहित करने की कवायद तेज हुए। लेकिन आपसी सामंजस्य के अभाव में यह मसला जमींदोज हो गया। व्यवस्था पर उठाता सवाल

प्रखंड के चमथा बाजिदपुर निवासी धीरेन्द्र कुमार सिंह, रामनरेश सिंह, मऊ गांव निवासी बच्चा सिंह, संतोष सिंह आदि बताते हैं कि काफी लंबे अर्से तक संघर्ष के बाद प्रखंड का गठन तो अवश्य किया गया। लेकिन ढाई दशक बाद भी सरकारी कार्यालयों को न तो अपनी जमीन मिली है और न भवन ही। यह व्यवस्था पर सवाल जरूर उठा रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.