मैथिली काव्य पाठ में सराही गई डॉ. विकल की रचनाएं
भारत सरकार की संस्था साहित्य अकादमी नई दिल्ली द्वारा वेबलाइन साहित्य श्रृंखला के अन्तर्गत काव्य मंच पर मैथिली कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया।
समस्तीपुर । भारत सरकार की संस्था साहित्य अकादमी, नई दिल्ली द्वारा वेबलाइन साहित्य श्रृंखला के अन्तर्गत काव्य मंच पर मैथिली कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। अकादमी के उपनिदेशक एन सुरेश बाबु ने सभी का स्वागत किया। काव्य पाठ करनेवाले कवियों में डॉ. नरेश कुमार विकल (समस्तीपुर), डॉ. सत्येंद्र झा (दरभंगा), आभा झा एवं एनसीईआरटी भोपाल हिदी के सहायक प्राध्यापक सह युवा पुरस्कार से सम्मानित युवा कवि अरुणाभ सौरभ (भोपाल) ने मिथिलांचल से जुड़ी कई कविताओं का पाठ किया। साथ ही राजनीतिक और सामाजिक विसंगतियों पर भी करारा प्रहार किया। डॉ. नरेश कुमार विकल ने व्यक्ति के वाह्य और आंतरिक संवेदना को उभारकर लाने वाली विभिन्न रचनाएं प्रस्तुत की। विकल की रचना ''अन्तर्मन अतृप्त ज्वार सम सरित स्त्रोत केर बात कहां, श्याम सघन घन उमड़ि रहल अछि, होइछ मुदा बरसात कहां'' एवं ''पसारल छैक प्रती में हमर पथार सन जिनगी, कहू हम ल ''क''की करबै एहन उधार सन जिनगी'' सराही गई। संचालन अकादमी के उप सचिव एन, सुरेश बाबु ने किया।