कोरोना की वजह से लोगों में होम सिकनेस का बढ़ावा, बाहर निकलने से कर रहे परहेज
कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में लागू लॉकडाउन के बाद परिस्थितियां धीरे-धीरे सामान्य हो रहीं। सरकार और प्राइवेट कार्यालयों में कामकाज शुरू करने की इजाजत मिल गई है। ऐसे में नौकरी-पेशा लोग पूरी तरह दो भागों में बंट गए हैं। इनमें ज्यादातर लोग ऑफिस जाने के क्रम में संक्रमित होने के खतरे से तनाव में हैं।
संक्रमण की आशंका से सहमे लोग दफ्तर जाने से हिचक रहे
समस्तीपुर । कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में लागू लॉकडाउन के बाद परिस्थितियां धीरे-धीरे सामान्य हो रहीं। सरकार और प्राइवेट कार्यालयों में कामकाज शुरू करने की इजाजत मिल गई है। ऐसे में नौकरी-पेशा लोग पूरी तरह दो भागों में बंट गए हैं। इनमें ज्यादातर लोग ऑफिस जाने के क्रम में संक्रमित होने के खतरे से तनाव में हैं। दूसरी तरफ कुछ लोग ऐसे भी हैं जो दफ्तर जाने के लिए उत्साहित हैं। हालांकि, घर से बाहर निकलने पर संक्रमित होने की आशंका उन्हें भी है। कर्मचारी ऑफिस में सेहत की सुरक्षा को लेकर इनोवेटिव तरीका अपनाए जाने की भी उम्मीद में हैं।
सदर अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी सह मनोचिकित्सक डॉ. गिरीश कुमार बताते हैं कि ज्यादातर लोग नोशोफोबिया के शिकार हो रहे। यह डर की एक ऐसी बीमारी है, जिसमें लोगों के दिल में किसी बीमारी से पीड़ित होने का खतरा रहता है। इससे उनकी दिनचर्या पर असर पड़ता है। लॉकडाउन ने संक्रमण कम करने के साथ कई लोगों को मनोवैज्ञानिक रूप से कमजोर किया है।
चिकित्सक का कहना है कि लोगों में होम सिकनेस की बीमारी भी बढ़ी है। कुछ लोग जो वर्क फ्रॉम होम के दौरान घर के वातावरण में एडजस्ट कर गए हैं। वे उसी माहौल में काम करने चाहते हैं। इसके साथ ही वे डर या अपने कंफर्ट लेवल से बाहर जाना ही नहीं चाहते। घर से ही कर रहे 14 घंटे तक काम
मल्टीनेशनल कंपनी में साफ्टवेयर इंजीनियर प्रेमशंकर ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान कंपनी के असाइनमेंट पर 12-14 घंटे तक काम किया। कोरोना का संक्रमण दिनोंदिन बढ़ता जा रहा। ऐसे में ऑफिस जाने से बेहतर है कि कंपनी वर्क फ्रॉम होम को बढ़ाए। इससे कंपनी की रिसोर्स की भी बचत होगी। चिकित्सक की मानें तो बीते डेढ़ महीने में लोगों के काम की गुणवत्ता में काफी सुधार देखा गया है। रविप्रताप सिंह बताते हैं कि वर्क फ्रॉम होम में लोगों ने अपनी ओर से बेहतर काम करके दिया। इससे वर्षों से चली आ रही ऑफिस जाकर काम करने की परंपरा के बारे में कंपनियों को एक बार सोचना चाहिए। जब संक्रमण था तो वर्क फ्रॉम होम का विकल्प था। अब संक्रमण बढ़ रहा है तो ऑफिस खोला जा रहा। इसमें संक्रमण के डर की वजह से कर्मचारी अपने काम पर अच्छे से फोकस नहीं कर पाएंगे।