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बनेंगे गरज वाले बादल , कई जगहों पर हल्की वर्षा के आसार

डॉ.आरपीसीएयू पूसा के सहयोग से जारी 23 से 27 फरवरी तक के मौसम पूर्वानुमान के अनुसार इस अवधि में उत्तर बिहार के जिलों में 26-27 फरवरी के आस-पास गरज वाले बादल बन सकते हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Feb 2019 11:12 PM (IST)Updated: Fri, 22 Feb 2019 11:12 PM (IST)
बनेंगे गरज वाले बादल , कई जगहों पर हल्की वर्षा के आसार
बनेंगे गरज वाले बादल , कई जगहों पर हल्की वर्षा के आसार

समस्तीपुर । डॉ.आरपीसीएयू, पूसा के सहयोग से जारी 23 से 27 फरवरी तक के मौसम पूर्वानुमान के अनुसार इस अवधि में उत्तर बिहार के जिलों में 26-27 फरवरी के आस-पास गरज वाले बादल बन सकते हैं। इसके प्रभाव से अनेक स्थानों पर हल्की वर्षा हो सकती है। कुछ स्थानों पर ओला परने की संभावना है। वर्षा के दौरान हवा तेज रह सकती है। अधिकतम तापमान 25 से 28 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है। न्यूनतम तापमान 12 से 15 डिग्री सेल्सियस के आस-पास रह सकता है। पूर्वानुमानित अवधि में औसतन 8-10 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से अगले दो दिन पछिया हवा तथा उसके बाद पुरबा हवा चल सकती है। सापेक्ष आ‌र्द्रता सुबह में 75 से 85 फीसद तथा दोपहर में 50 से 60 फीसद रहने की संभावना है। यह जानकारी मौसम वैज्ञानिक डॉ. ए सत्तार ने दी। आज का अधिकतम तापमान: 27.8 डिग्री सेल्सियस रहा जो सामान्य से 0.4 डिग्री अधिक रहा वहीं न्यूनतम तापमान: 14.5 डिग्री रहा जो सामान्य से 3.5 डिग्री अधिक रहा। कृषि कार्य में बरते सतर्कता

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26 से 27 फरवरी में वर्षा की संभावना को देखते हुए किसान भाई कृषि कार्यो में सतर्कता बरतें। खड़ी फसलों में ¨सचाई स्थगित रखे। फसलों में कीटनाशक दवाओं का छिड़काव मौसम साफ रहने पर करें। इस अवधि के दौरान सरसों की तैयार फसलों की कटाई नहीं करें। अगात आलू की तैयार फसल की खुदाई करें। आलू की फसल जो कृषक बंधु बीज के लिए रखना चाहते हैं उसकी ऊपरी लत्तर की कटाई कर दें।

गरमा मक्के की बुआई के लिए निचली भूमि का करें चयन

गरमा मक्के की बुआई के लिए वैसी निचली भूमि का चयन करें जहां ¨सचाई की सुविधा सुनिश्चित हों। गरमा मक्के की बुआई करें। जुताई से पूर्व खेतों में प्रति हेक्टेयर 10-15 टन गोबर की खाद, 50 किलोग्राम नेत्रजन, 40 किलोग्राम स्फुर एवं 30 किलोग्राम पोटास का व्यवहार करें। बुआई के लिए सुवान, देवकी, गंगा 11, शक्तिमान 1,2,3,4 एवं शक्तिमान 5 किस्में अनुशंसित है। बीज दर 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से व्यवहार करें। प्रति किलोग्राम बीज को 2.5 ग्राम थीरम या कैप्टाफ द्वारा उपचारित कर बुआई करें।

सूर्यमुखी की बुआई भी करें

सुर्यमुखी की बुआई करें। बुआई से पुर्व 100 ¨क्वटल कम्पोस्ट, 30 किलोग्राम नेत्रजन, 80 किलोग्राम स्फुर, 40 किलोग्राम पोटास प्रति हेक्टेयर की दर से व्यवहार करें। उत्तर बिहार के लिए सूर्यमुखी की उन्नत संकुल प्रभेद मोरडेन, सूर्या, सीओ-1 एवं पैराडेविक तथा संकर प्रभेद के लिए बीएसएच-1, केबीएसएच-1, केबीएसएच-44, एमएसएफएच-1, एमएसएफएच-8 एवं एमएसएफएच-17 अनुसंशित है। संकर किस्मों के लिए बीज दर 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तथा संकुल किस्मों के लिए 8 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रखें। बुआई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 2 ग्राम थीरम या कैप्टाफ दवा से उपचारित कर बुआई करे।

गरमा सब्जी लगने का भी समय

गरमा सब्जियों की बुआई करें। ¨भडी के लिए परभनी क्रान्ति, अर्का अभय, अर्का अनामिका, वर्षा उपहार, केएस-312 लौकी के लिए राजेन्द्र चमत्कार, पूसा समर प्रौलिफिक लौंग, पूसा समर प्रौलिफिक राउंड नेनुआ के लिए राजेन्द्र नेनुआ-1, पूसा चिकनी पूसा प्रिया, कल्याणपुर चिकनी करेला के लिए पूसा दो मौसमी, पूसा विशेष, कोयम्बटूर लौंग, पंत करेला और कल्याणपुर बारहमासी अनुशंसित किस्में हैं। स्वस्थ फसल के लिए बीज को सदैव उपचारित कर बुआई करें।

सरसों की फसल को लाही से बचाएं

पिछात बोयी गयी सरसों की फसल में लाही कीड़ों के प्रकोप का अनुकुल समय चल रहा है। अत: सरसों में इस कीट की निगरानी करें। फसल में इस कीट का प्रकोप होने पर बचाव के लिए डाईमेथोएट 30 ईसी दवा का 1.0 मिली प्रति लीटर पानी की दर से घोल कर समान रुप से छिड़काव मौसम साफ रहने पर करें। रबी मक्का की धनबाल व मोचा निकलने से दाना बनने की अवस्था वाली फसल में पर्याप्त नमी बनाए रखें। अगात बोई गई गेहूं का दाना बनने से दूध भरने की अवस्था वाली फसल में पर्याप्त नमी का विशेष ध्यान रखें। इस अवस्था में नमी की कमी रहने से उपज में कमी आती है। चारा के लिए ज्वार, मकई और बाजरे की बुआई करे। गरमा मूंग तथा उरद की बुआई के लिए खेत की तैयारी करें।


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