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कर्मी से मारपीट के बाद हड़ताल पर गए एंबुलेंस कर्मी

समस्तीपुर। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हसनपुर और बिथान में कार्यरत एंबुलेंस कर्मी के साथ पुलिस द्वारा मारपीट करने के मामले में सभी एंबुलेंस कर्मी शनिवार को हड़ताल पर चले गए।

By JagranEdited By: Published: Sun, 12 Jul 2020 01:06 AM (IST)Updated: Sun, 12 Jul 2020 06:15 AM (IST)
कर्मी से मारपीट के बाद हड़ताल पर गए एंबुलेंस कर्मी
कर्मी से मारपीट के बाद हड़ताल पर गए एंबुलेंस कर्मी

समस्तीपुर। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हसनपुर और बिथान में कार्यरत एंबुलेंस कर्मी के साथ पुलिस द्वारा मारपीट करने के मामले में सभी एंबुलेंस कर्मी शनिवार को हड़ताल पर चले गए।इससे सभी स्वास्थ्य संस्थानों में एंबुलेंस की सुविधा बाधित होने से मरीजों की परेशानी बढ़ गई। 102 एंबुलेंस कर्मचारी संघ ने सदर अस्पताल में एकत्रित होकर प्रशासन के विरोध में नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया। इस दौरान एक सभा हुई। अध्यक्षीय संबोधन में जिला अध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि हसनपुर में नौ जुलाई की रात्रि में ड्यूटी के दौरान एंबुलेंस कर्मी के साथ गाली-गलौज करते हुए मारपीट की घटना अशोभनीय है। इसमें दोषी पुलिस कर्मियों पर उचित कार्रवाई करने की मांग की। साथ ही सदर अस्पताल के भी एंबुलेंस कर्मियों पर दर्ज झूठे मुकदमे को वापस लेने की मांग की गई। कहा कि जबतक सभी मामलों पर कार्रवाई नहीं होती है सभी बाध्य होकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहेंगे। हसनपुर और बिथान पुलिस ने एंबुलेंस कर्मियों से की मारपीट

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गत नौ जुलाई की रात्रि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हसनपुर से एंबुलेंस कर्मी मरीज को लाने के लिए जा रहे थे। रास्ते में पुलिस वाहन को ओवरटेक कर आगे बढ़ गया था। इसके बाद पुलिस वाहन ने ओवरटेक कर आगे से गाड़ी रोक दिया। इसके बाद एंबुलेंस कर्मी सुबोध कुमार के साथ मारपीट की। वहीं दूसरी ओर 10 जुलाई को बिथान के कर्मियों के साथ वहां के पुलिस कर्मी ने मारपीट की। इस बात की जानकारी मिलते ही एंबुलेंस कर्मियों में रोष उत्पन्न हो गया। हड़ताल की सूचना पर जिला स्वास्थ्य समिति प्रशासन ने हड़तालियों से वार्ता की लेकिन विफल रही।

हड़ताल से बढ़ी मरीजों की परेशानी

जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में एंबुलेंस कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने से मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। मरीज को स्वास्थ्य संस्थान पहुंचने में काफी परेशानी हुई। अधिकतर मरीजों को प्राइवेट एंबलुेंस या निजी वाहनों से ही अस्पताल जाने की मजबूरी बनी रही।


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