अच्छाइयों को ग्रहण करना ही जीवन का महायज्ञ
समस्तीपुर। विद्यापतिनगर अच्छाइयों को ग्रहण करना ही जीवनरुपी महायज्ञ है। मानव को जीवन में बुराइयों को दूर करते हुए अच्छाइयों की ओर प्रवृत होना चाहिए।
समस्तीपुर। विद्यापतिनगर, अच्छाइयों को ग्रहण करना ही जीवनरुपी महायज्ञ है। मानव को जीवन में बुराइयों को दूर करते हुए अच्छाइयों की ओर प्रवृत होना चाहिए। उक्त बातें कथावाचक आचार्य अशोक शास्त्री ने कही। वे सोमवार को मऊ बाजार में आयोजित नौ कुंडीय गायत्री महायज्ञ सह प्रवचन कथा में श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि महायज्ञ का महत्व इस संसार में बड़ा ही महत्वपूर्ण है। निजी जीवन में मनुष्य अपने परिवार, अपने आसपास क्षेत्र एवं देश का भी कल्याण करता है। महायज्ञ का अर्थ ही नेक बनने से है। जहां महायज्ञ सरीखे धार्मिक कार्यक्रम होते है, उनका वैज्ञानिक ²ष्टिकोण भी होता है। जिस स्थान पर यज्ञ होता है उसके आसपास का वातावरण रोग, शोक, कलुषता से मुक्त हो जाता है। चहुंओर एक नए परिवेश की उत्पत्ति होती है। शांति, उन्नति और प्रेम का समावेश होता है। इससे पूर्व यज्ञ स्थल पर श्रद्धालुओं ने सामूहिक हवन किया। भजन संगीत का आयोजन हुआ। मौके पर मुख्य संयोजक विमल कुमार झा, सुरेश चौधरी, कृष्णानंद झा, देवेश कुमार दीपंकर, रानी झा, देवनंदन पंडित, अर्जुन साह, रितिक रौशन राज, रणधीर कुमार साह, चंदन स्वर्णकार, विनोद कुमार मालाकार, सुशीला देवी, ममता देवी, महेंद्र साह, निर्मला देवी, देवेन्द्र झा, राजू चौधरी आदि मौजूद रहे।