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कुत्ता-बिल्ली नहीं सांपों को बना लिया है पालतू, जानिए इस स्नेक मैन की कहानी

समस्तीपुर के विभूतिपुर में एक शख्स कुत्ता बिल्ली नहीं सांपों को पालता है। इलाके के लोग इसे स्नेक मैन के नाम से जानते हैं। कहीं भी सांप निकले तो लोग उन्हें बुलाकर ले जाते हैं।

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 14 Jul 2018 03:32 PM (IST)Updated: Sun, 15 Jul 2018 09:26 PM (IST)
कुत्ता-बिल्ली नहीं सांपों को बना लिया है पालतू, जानिए इस स्नेक मैन की कहानी
कुत्ता-बिल्ली नहीं सांपों को बना लिया है पालतू, जानिए इस स्नेक मैन की कहानी

समस्तीपुर [जेएनएन]। आमतौर पर आपने लोगों को कुत्ता, बिल्ली, गाय, भैंस और खरगोश पालते देखा होगा। लेकिन, 41 वर्षीय राजाराम का शौक थोड़ा खतरनाक है। वे विषधर सांप पालते हैं। उसी से खेलते हैं। उन्हें गले में लटकाकर भोलेनाथ का रूप धर लोगों का मनोरंजन करते हैं।

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आसपास किसी के घर सांप निकलने की सूचना पर पहुंच जाते हैं। सांप को मारने से बचाते हैं, फिर पकड़कर साथ लाते हैं। लोगों को जीव-जंतुओं से प्यार करने की सीख देते हैं। पिछले चार साल से यह क्रम जारी है। 

सपेरे के साथ रहकर सीखी सांप पकडऩे की कला 

विभूतिपुर प्रखंड के महिषी गांव निवासी राजाराम पहले विदेशिया नाच पार्टी में काम करते थे। मां, पत्नी, एक बेटी और पांच बेटे यानी नौ लोगों के परिवार का खर्च इससे नहीं चल पाता था। आर्थिक तंगी से आजिज आकर राजाराम ढोल-ताशा पार्टी चलाने लगे। इससे भी लगन में ही कमाई हो पाती थी।

वर्ष 2013 में एक दिन उनके गांव में एक सपेरा आया, जो बीन बजाकर लोगों को सांप दिखा रहा था। उनके मन में ख्याल आया कि वह भी ऐसा कर सकते हैं। उन्होंने सपेरे से यह कला सिखाने का अनुरोध किया। काफी मिन्नतों के बाद वह तैयार हुआ। कई महीने तक सपेरे के साथ रहकर सांप पकडऩे की कला सीखी।

 

इसके बाद अगल-बगल के गांवों में किसी के घर सांप निकलने की सूचना पर पहुंच जाते और पकड़कर घर लाते। सांपों को रखने के लिए बांस के बक्से बनवाए। धीरे-धीरे उनके पास सांपों की संख्या 100 हो गई। पांच महीने पहले पांच सांपों को रख अन्य को जंगल में छोड़ दिया।

अब इन सांपों को गले में लटकाकर महादेव के रूप में लोगों के सामने करतब दिखाते हैं। इससे प्रतिदिन पांच से सात सौ रुपये आमदनी हो जाती है। राजाराम के पास इस समय विषैले सांप जैसे गेहूंअन और करैत आदि हैं। 

सांप से खेलती है बेटी, गले में लटकाकर घूमती 

उनकी छोटी बेटी सात वर्षीय विद्या भारती भी विषैले सांपों से नहीं डरती। गले में डाल लेती है। उससे खेलती है। राजाराम बताते हैं, सांप पकडऩा कोई तंत्र-मंत्र नहीं, बल्कि एक कला है। सांप जब कुंडली मारकर बैठा हो तो उसे नहीं पकडऩा चाहिए। छड़ी से उसकी कुंडली पर स्पर्श करने पर वह भागेगा। इसके बाद पूंछ पकड़कर उसे सीधा उठा लेना चाहिए।

सांप रीढ़ विहीन प्राणी होता है। इसलिए वह हाथ तक नहीं पहुंच सकता। राजाराम कहते हैं कि पकडऩे के बाद सांपों की विष की थैली निकाल देते हैं। इसके बाद उसे छोड़ देते हैं। इससे सांप के काटने पर कुछ नहीं होता। वे सांपों को गर्मी में नियमित रूप से स्नान कराते हैं। 

नरहर पशु चिकित्सालय के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. ललन कुमार बताते हैं कि अगर सांप की विष की थैली एक बार निकाल दी जाए तो दोबारा निर्माण नहीं होता। इसके बाद वह किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता। 


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