समस्तीपुर रेल मंडल में प्रत्येक दिन बर्बाद हो रहा 51 हजार लीटर पानी
समस्तीपुर रेल मंडल के 14 स्टेशनों पर यात्रियों को शुद्ध पानी पिलाने के नाम पर प्रत्येक दिन 51 हजार लीटर पानी को बर्बाद किया जा रहा है। लेकिन रेल प्रशासन जल संरक्षण की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं कर रहा है। पानी के लिए हर जगह हाहाकर मचा है लेकिन प्रशासन को इससे कुछ भी लेना देना नहीं है।
समस्तीपुर । समस्तीपुर रेल मंडल के 14 स्टेशनों पर यात्रियों को शुद्ध पानी पिलाने के नाम पर प्रत्येक दिन 51 हजार लीटर पानी को बर्बाद किया जा रहा है। लेकिन, रेल प्रशासन जल संरक्षण की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं कर रहा है। पानी के लिए हर जगह हाहाकर मचा है, लेकिन प्रशासन को इससे कुछ भी लेना देना नहीं है। स्टेशनों के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर वाटर वेंडिग मशीन का स्टॉल लगाया गया है। यात्रियों को शुद्ध पानी बेचने के नाम पर रोजाना हजारों लीटर पानी नालियों में बहा दिया जा रहा है। स्थिति यह है कि जंक्शन पर शुद्ध पानी के नाम पर रोजाना करीब 84 मशीन से 51 हजार लीटर पानी बर्बाद हो रहा है। समस्तीपुर जंक्शन के विभिन्न प्लेटफॉर्म पर 12 वाटर वेंडिग मशीन लगाई गई है। जबकि, मंडल के 14 स्टेशनों पर 84 मशीन लगी है। एक अनुमान के मुताबिक प्रत्येक दिन एक मशीन से लगभग 200 लीटर पानी की बिक्री हो रही है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है एक यूनिट से औसतन 600 लीटर पानी की बर्बादी हो रही है। जिससे प्रतीत होता है कि हर दिन शुद्ध जल के नाम पर 51 हजार लीटर पानी की बर्बादी हो रही है। प्यूरीफाई होकर निकला पानी हो रहा बर्बाद
जंक्शन के विभिन्न प्लेटफार्म वाटर वेंडिग मशीन लगी हुई है। यहां प्रतिदिन हजारों लीटर प्यूरीफाइड वाटर यात्रियों को सस्ते दाम में उपलब्ध कराया जा रहा है। लेकिन, यहां प्यूरीफाई होकर निकले पानी को बचाने की बजाए बर्बाद भी किया जा रहा है। प्रत्येक दिन हजारों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है। जबकि रेल प्रशासन इस पानी का इस्तेमाल ट्रेन के साथ ही रेलवे लाइन वाशिग में भी कर सकता है। पानी की स्वच्छता को लेकर आम हो या खास हर कोई संवेदनशील है। इससे घरों में आरओ की संख्या दिन- प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जिसकी वजह से बड़े पैमाने पर पानी बर्बाद हो रहा है। किसी भी आरओ कंपनी ने बर्बाद हो रहे इस जल के बचाव का कोई प्रावधान नहीं किया। जिसके चलते जाड़े में भी पानी संरक्षण की जरूरत पड़ रही है। पानी को शुद्ध कर टीडीएस की मात्रा को करता है कम
आरओ सिस्टम वाटर प्यूरीफिकेशन के लिए काम करता है। इसमें रिवर्स ऑस्मोसिक की प्रक्रिया से जल शुद्धीकरण किया जाता है। इसलिए आरओ सिस्टम का पानी पीने योग्य होता है, लेकिन इसमें टीडीएस की मात्रा बहुत कम हो जाती है। जो मानक सीमा के अंदर तो होती है। यह जीवन के लिए बहुत नुकसान पहुंचाती है। आरओ सिस्टम के रिवर्स ऑस्मोसिस की प्रक्रिया के माध्यम से शोधित जल से बाहर चली जाती है, जिसका प्रभाव मानव स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। वर्जन
वाटर वेंडिग मशीन से निकलने वाले पानी के संरक्षण पर विचार किया जाएगा। पानी के बर्बाद होने से बचाव की दिशा में जल्द ही बेहतर कार्य किया जाएगा।
बिरेंद्र कुमार,
वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक,
पूर्व मध्य रेल, समस्तीपुर।
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