बीजेपी का चुनाव तैयारी में जुटना दुर्भाग्यपूर्ण: शरद
सहरसा। पूर्व सांसद और लोजद नेता शरद यादव ने लोजद जिलाध्यक्ष धनिकलाल मुखिया के हवाले से जारी बय
सहरसा। पूर्व सांसद और लोजद नेता शरद यादव ने लोजद जिलाध्यक्ष धनिकलाल मुखिया के हवाले से जारी बयान में कहा है कि देश अभी कोरोना महामारी से जूझ ही रहा है और मजदूरों को दिए जख्म अभी ताजा ही है। ऐसे में बीजेपी अपने चुनावों की तैयारी में लग गई है जो दुर्भाग्यपूर्ण है। मैं इसकी निदा करता हूं। उन्होंने कहा कि जिस तरह इस समय में मजदूर से लेकर हर आम आदमी को खाने के लाले पड़े हुए हैं और ऐसे में बीजेपी द्वारा डिजिटल रैली पर इतना खर्चा करना न केवल निदनीय है बल्कि कहीं से भी शोभा
नहीं देता है। सबसे बड़ी पार्टी और जिसके हाथ में सत्ता हो और ऐसा काम करे तो देश को क्या राह और दिशा दिखाएगी देशवासियों कि समझ के परे है। हमारे मजदूर भाई बहनों के साथ जो व्यवहार हुआ है वह भुलाए नहीं भूल सकता है। कहा कि जब अंग्रेजों ने इस देश पर राज किया था तब भी ऐसा नहीं होता था जैसा हाल ही में मजदूरों के साथ देखने को मिला है। जिस तरह से कोरोना संकट
के बचाव के लिए अचानक तालाबंदी की गई जिसने नोटबंदी के दिनों को ही ताजा नहीं किया बल्कि ऐसा लगा जैसे देश में कोई सरकार काम ही नहीं कर रही है।
अचानक तालाबंदी से केवल प्रवासी कामगार ही तबाह और बेहाल नहीं हुए बल्कि देश का हर नागरिक इससे तकलीफ और परेशानी में आया है। सरकार को देशवासियों से माफी मांगने की बजाए जिस शान और शौकत से डिजिटल रैली की गई उससे मजदूर
भाई बहन से लेकर बिहार और देश के हर नागरिक को ठेस पहुंची है। उन्होंने कहा कि राज्य में आज हो रहे कामों और आंकड़ों की तुलना गृहमंत्री ने 2005 की राजद की सरकार से की गई जिसका कोई मतलब नहीं था। राज्य की जनता को बताना
चाहिए था कि किस तरह से राज्य सरकार ने अपने राज्य के छात्रों और कामगारों को जो दूसरे राज्यों में फंसे थे अपने घर लौटना चाहते थे उनके लिए आनाकानी करी और उसी वजह से सारा भ्रम पैदा हुआ था। राज्य की शिक्षा व्यवस्था में आई कमी, कानून व्यवस्था चरमराती हुई, मनरेगा में काम ना मिलना आदि खामियों के बारे में रोशनी डालनी चाहिए थी। एनडीए सरकार को अपनी नाकामियों के बारे
में भी जनता को बताना चाहिए था।