लाखों खर्च के बाद भी खेत पोखर का मिट रहा अस्तित्व
सहरसा। जल संरक्षण के उद्देश्य से मनरेगा योजना के तहत बनाए जा रहे खेत पोखरी कारगर सिद्ध नहीं
सहरसा। जल संरक्षण के उद्देश्य से मनरेगा योजना के तहत बनाए जा रहे खेत पोखरी कारगर सिद्ध नहीं हो पा रहे हैं। किसानों को निजी तौर पर लाभान्वित करने एवं कैचमेंट्स से बहने वाले जल प्रवाह को इकठ्ठा करने हेतु निजी जमीन में खेत पोखरी का निर्माण कराया जाता है। किसानों को निजी तौर पर सरकारी लागत से खेत पोखरी निर्माण का मुख्य उद्देश्य है कि किसान वर्षा जल को एकत्र कर खरीफ फसल के लिए सुरक्षात्मक ¨सचाई की व्यवस्था कर सकें तथा मछली पालन कर आय कि श्रोत भी बढ़ा सके। मगर लाखों राशि खर्च कर बनाए गए खेत पोखरी के समुचित रखरखाव नहीं हो पाने के कारण अस्तित्व मिटने के कगार पर है। वर्ष 13-14 से प्रारंभ इस योजना के तहत प्रखंड के छह पंचायतों में 25 लाख की राशि से नौ खेत पोखरी का निर्माण मनरेगा योजना के तहत कराया गया। वहीं स्वीकृत 15 लाख की राशि से आधे दर्जन खेत पोखरी निर्माण कार्य लंबित है।
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इन पंचायतों में बना खेत पोखरी
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पंचायत खेत पोखरी की संख्या
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1. बिजलपुर . 4
2 बरहशेर . 1
3 विशनपुर . 1
4 ओकाही . 1
5 पुरीख . 1
6 सत्तर . 1
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कहते हैं किसान
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बिजलपुर के किसान बबलू यादव ने बताया कि कम एरिया मे होने के कारण बाहरी मिट्टी भरने से पोखरी जल्द भर जाता है। इस कारण राशि खर्च होने के बावजूद यह कारगर नहीं हो पा रहा हैं। वहीं बारा के सिताराम कामत, अरुण झा, पंचगछिया के संजीव ¨सह, बरहशेर के प्रणव कुमार के अनुसार वर्षात के समय में चारों ओर से पानी के बहाव में छोटे आकार वाली इस पोखरी मे मिट्टी के आने से यह भर जाता हैं तथा कम समय मे ही जमा पानी सूख जाता है।
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यह योजना व्ययक्तिगत लाभान्वित करने हेतु दिया जाता है तथा इसका रखरखाव भी उनकी ही जिम्मेदारी होती। कार्य पूर्ण होने तक ही विभागीय दायित्व रहती है।
पंकज कुमार गिरी
कार्यक्रम पदाधिकारी, मनरेगा, सत्तरकटैया।