Move to Jagran APP

देश की सबसे बड़ी शक्ति है अध्यात्म : सतपाल

सहरसा। मानव सेवा समिति सहरसा शाखा के तत्वावधान में सहरसा स्टेडियम में आयोजित सद्भावना सम्मेल

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Feb 2020 07:41 PM (IST)Updated: Sun, 23 Feb 2020 06:15 AM (IST)
देश की सबसे बड़ी शक्ति 
है अध्यात्म : सतपाल
देश की सबसे बड़ी शक्ति है अध्यात्म : सतपाल

सहरसा। मानव सेवा समिति सहरसा शाखा के तत्वावधान में सहरसा स्टेडियम में आयोजित सद्भावना सम्मेलन के दूसरे दिन शनिवार को अपने संबोधन में सतपाल जी महराज ने कहा कि जहां पर सत्य है। वहीं बैकुंठ है। सत्य को जानने के लिए संतों ने बार-बार कहा है। सबसे पहले परमात्मा के नाम को जानकर उसका निरंतर भजन अभ्यास करना चाहिए। तभी आप सत्य से रूबरू हो सकते हैं। कहा कि सद्भावना सम्मेलनों में सबको अध्यात्म ज्ञान की प्रेरणा मिलती है। अध्यात्म ज्ञान का भारत में प्रचार-प्रसार करना होगा। तभी हमारा देश संसार का सिरमौर बनेगा। उन्होंने कहा कि अध्यात्म ज्ञान से ही मानव का नैतिक एवं चारित्रिक उत्थान संभव है। हम सत्संग में हर जगह इसी पर जोर देते हैं। बाहर की सफाई के साथ-साथ अंदर की सफाई बहुत जरूरी है। जब हमारा बन स्वच्छ और निर्मल होगा, तभी सद्भावना का संदेश जन-जन तक पहुंचेगा। वसुधैव कुटुम्बकम तथा सर्वजन सुखाय की भावना जागृत होगी। सतपाल महाराज ने कहा कि भारत की सबसे बड़ी शक्ति अध्यात्म शक्ति है। हमें अपनी आध्यात्मिक शक्ति का पुनर्जागरण करना होगा। अगर हमारे अंदर सछ्वावना होगी, सुमति की भावना होगी होगी तो हमारा रास्ता निश्चित रूप से देश का विकास करने वाला होगा। कहा कि गुरू सदा ज्ञान देता है। हम कृतसंकल्प हैं कि भारत पुन: विश्वगुरु बने और हमारा यही प्रयास है कि अध्यात्म की शक्ति से भारत को पुन: विश्वगुरु का स्थान प्राप्त हो। सम्मेलन को संबोधित करते हुए माता अमृता जी ने कहा कि प्रत्येक शिष्य को समर्पित भाव से तन- मन और धन से गुरु महाराज की सेवा करनी चाहिए। जब शिष्य श्रद्धा-भक्ति भावना से गुरू की सेवा करता है, तो उसका चंचल मन धीरे-धीरे अन्तर्मुख होने लगता है। भाव से की गई सेवा इहलोक और परलोक संवारने में सहायक होती है। जितनी सेवा करेंगे, उससे कई गुणा गुरू महाराज जी हमें सेवा का फल प्रदान करेंगे। हमें निश्चियात्मक बुद्धि से सेवा करनी चाहिए। सेवा का फल मीठा होता है। उन्होंने कहा कि मानव तन अनमोल है, जो प्रभु कृपा से हमें प्राप्त हुआ है, लेकिन मानव जीवन क्षणभंगुर भी है। इसे जीने के लिए हमें महापुरुषों का सन्मार्ग चाहिए। संत- महापुरुष मानव के चंचल मन को एकाग्र करने की क्रियात्मक विधि बताते हैं। मन की चंचलता ही अशांति का मूल कारण है। यह चंचल मन प्रभु परमात्मा के भजन-ध्यान के अभ्यास से एकाग्र होता है। सम्मेलन में भजन गायक कलाकारों ने सुम-धुर भजनों ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

loksabha election banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.