यहां चलती है बीडीओ की पाठशाला
सहरसा : साहब ढ़ाई साल पहले बीडीओ थे। नई नौकरी थी। परंतु सरकारी नौकरी उन्हें रास न
सहरसा : साहब ढ़ाई साल पहले बीडीओ थे। नई नौकरी थी। परंतु सरकारी नौकरी उन्हें रास नहीं आई। उन्होंने बीडीओ के पद से इस्तीफा दे दिया। अब वो गांव-गांव में शिक्षा की मुहिम चला रहे हैं। कई गांव में इन्होंने बीडीओ का पाठशाला नाम से शिक्षादान देना शुरू किया है। गरीब बच्चों को यहां मुफ्त शिक्षा देने के साथ-साथ उनके पढ़ाई की सामग्री का भी इंतजाम किया जाता है। हम बात कर रहे हैं नवहट्टा के पूर्व बीडीओ गौतम कृष्ण का। इन्होंने नौकरी से इस्तीफा देकर राजनीति शुरू की। लेकिन गांव के बच्चों में शिक्षा की खराब स्थिति देखकर इन्होंने इस अभियान की शुरूआत की है।
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सौ से अधिक खुलेगा पाठशाला
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संचालक गौतम कृष्ण ने बताया कि प्रथम चरण में सौ से अधिक गांवों व टोले में बीडीओ की पाठशाला शुरू की जाएगी। करीब दर्जन जगहों पर इसकी शुरूआत हो चुकी है। स्थानीय पढ़े-लिखे युवाओं को इससे जोड़ा जा रहा है। जिनके द्वारा पठन-पाठन कराया जाता है। जबकि गांव समाज के सहयोग से उन्हें पढ़ने के लिए सामग्री भी मुहैया कराई जाती है। उन्होंने कहा कि इस कार्य में उनकी पत्नी श्वेता (वर्तमान में सहरसा के सत्तकरटैया प्रखंड की बीडीओ) का सहयोग मिलता है। कहा कि गांवों में गरीब बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं। जबकि बिना शिक्षा के समाज आगे नहीं बढ़ सकता है। कहा कि वो अपना आदर्श सांसद पप्पू यादव को मानते हैं। उनके द्वारा गरीबों की सेवा को देखकर उन्होंने शिक्षादान करने की मुहिम शुरू की। इनकी पाठशाला मधेपुरा जिला के गोढि़यारी में, सहरसा जिला के महिषी प्रखंड अंतर्गत तेलहर महादलित टोला समेत अन्य जगहों पर चल रही है।
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50-50 बच्चों को दी जाती है प्रारंभिक शिक्षा
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पाठशाला में 50-50 बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा दी जाती है। वहां के युवा इसमें सहयोग करते हैं। पाठशाला के संचालन में बीडीओ के पढ़ाई के दौरान मित्र रहे कई लोग जो अच्छे पदों पर कार्यरत हैं उनके द्वारा सहयोग किया जाता है। इनके इस कार्य की सभी लोग सराहना कर रहे हैं।