दियारा की महिलाओं में साक्षरता का अलख जगा रही गुंजन
सहरसा: आम घरेलू महिलाएं जहां अपने बच्चों की परवरिश और परिवार की देखरेख को अपना म
सहरसा: आम घरेलू महिलाएं जहां अपने बच्चों की परवरिश और परिवार की देखरेख को अपना मूल कर्तव्य समझती है। उससे अलग हटकर दियारा क्षेत्र में महिलाओं और बुजुर्गों के बीच शिक्षा का अलख जगा रही गुंजन देवी अब आमलोग से खास बन चुकी है। अपने पति नंदकिशोर यादव को साक्षरता के कार्य में व्यस्त देखकर वह भी इस ओर आकर्षित हुई और वर्ष 1994 में इस कार्य का बीड़ा अपने सिर उठाया। हालांकि उस समय गुंजन को छोटे-छोटे बच्चों के लालन-पालन की भी जिम्मेदारी आ गई थी। परंतु उनके जज्बे को देखकर परिवारवालों ने भी काफी साथ दिया। आज गुंजन के प्रयास से सलखुआ प्रखंड के उटेसरा पंचायत के तीन सौ से अधिक लोग लिखना-पढ़ना सीख गए। बाद में गुंजन ने अगल-बगल के गांव के लोगों को भी इस कार्य के लिए प्रेरित किया। उनका यह अभियान अबतक जारी है।
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लोकप्रियता के बल पर पंचायत की मुखिया भी बनी गुंजन
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गुंजन कहती हैं कि उसे लोग नंदकिशोर यादव की पत्नी के रूप के जानते थे। उनकी इच्छा थी कि खुद की पहचान बने। लोगों को अक्षरदान देने के अभियान ने उनके इस उद्देश्य को पूरा किया। वह अपने पंचायत व अगल-बगल के गांव में खुद के नाम से पहचाने जाने लगी। लोगों के आग्रह पर उसने वर्ष 2006 में पंचायत से मुखिया पद के पर्चा दाखिल किया और अपार बहुमत से निर्वाचित हुई। मुखिया बनने के बाद भी उनका अभियान जारी रहा, जिसके कारण बेस्ट भीटी के रूप में वह मुख्यमंत्री से सम्मानित भी हुई। गुंजन का कहना है कि इन सभी सफलताओं में उनके पति का सबसे अधिक योगदान रहा।
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साक्षर होकर कई लोगों ने पाया रोजगार
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गुंजन ने उटेसरा पंचायत में साक्षर लोगों का पचास स्वयं सहायता समूह गठित किया। इन महिलाओं को बैंकों से ऋण दिलाकर रोजगार से रोजगार से जोड़ा गया। पंचायत की सुमित्रा देवी कहती है कि उन्हें गुंजन के प्रयास से ऋण मिला वह बकरी पालन कर परिवार का परवरिश कर रही है। लक्ष्मी देवी अदौरी बनाकर और नूतन देवी सब्जी की खेती कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही है। आज भी गुंजन गांव के लोगों को बच्चों को शिक्षित करने के लिए प्रेरित करती है। उनके प्रयास से गांव के सभी बच्चे स्कूल भी जा रहे हैं। गुंजन कहती हैं कि वह जबतक ¨जदा रहेगी, उनका यह सामाजिक कार्य चलता रहेगा।