संसाधनों से जूझ रहा अनुमंडलीय अस्पताल
सहरसा। सरकार द्वारा भले ही स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार के लिए समय-समय पर योजनाएं शुरू की जाती
सहरसा। सरकार द्वारा भले ही स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार के लिए समय-समय पर योजनाएं शुरू की जाती है। लेकिन संसाधनों के अभाव में अनुमंडलीय अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था खुद कराह रही है। हद यह कि व्यवस्था की पीड़ा से मरीजों का दर्द कम होने की बजाए बढ़ ही रहा है। संसाधनों का अभाव बड़ी परेशानी बन कर उभरा है। एक तो अस्पताल में चिकित्सक व कर्मियों के सृजित पद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के ही हैं जबकि यहां काम अनुमंडलीय अस्पताल का चल रहा है। लेकिन अनुमंडलीय अस्पताल के लिए सृजित पद के अनुसार ना तो यहां चिकित्सक तैनात हैं और नहीं कर्मी ही। लिहाजा अस्पताल गरीब मरीजों की उम्मीदों पर खड़ा उतरने में विफल साबित हो रहा है।
अस्पताल में चिकित्सकों के 11 पद स्वीकृत हैं लेकिन इसके विरुद्ध महज 5 चिकित्सक ही तैनात हैं। पूरे अस्पताल में महिला रोगियों के इलाज व आपरेशन के लिए महज एक महिला चिकित्सक तैनात है। तीन शिशु रोग विशेषज्ञ मौजूद हैं। अस्पताल में अन्य विशेषज्ञ चिकित्सकों का अभाव है। ऐसे में दांत व आंख के चिकित्सकों को भी आउटडोर में जेनरल मरीजों को इलाज करते देखा जाता है। इस अस्पताल में कर्मचारियों के पद भी खाली है। कर्मियों के स्वीकृत 100 के विरुद्ध 06 ही कार्यरत हैं। अस्पताल में मात्र 04 ग्रेड नर्स कार्यरत है। जबकि जरूरत 30 की है। प्रसव वार्ड में एक महिला चिकित्सक के साथ काम एएनएम करती है और एएनएम का कार्य ममता करती है। यहां मात्र चार एएनएम हैं जिससे आठ घंटे के शिफ्ट के हिसाब से काम लिया जाता है।
पूरे अस्पताल में 100 बेड की जगह मात्र 30 बेड लगे हैं। इनमें कई टूट चुके हैं। अनुमंडल के 35 लाख आबादी की देखरेख हेतु अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में मात्र पांच बेड है। इमरजेंसी में पांच से ज्यादा मरीज पहुंचने पर ऊहापोह की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। लिहाजा जमीन पर मरीजों का इलाज करना पड़ता है। यहां रोजाना 5 से 10 महिलाओं का प्रसव कराया जाता है।