बारूद के ढ़ेर पर है सहरसा शहर
सहरसा। आप मानें या न मानें लेकिन सहरसा शहर बारूद के ढ़ेर पर है। एक चिगारी से शहर र
सहरसा। आप मानें या न मानें लेकिन सहरसा शहर बारूद के ढ़ेर पर है। एक चिगारी से शहर राख में तब्दील हो सकता है। वहीं अरबों का नुकसान व जानमाल की हानि हो सकती है। कोसी प्रमंडल मुख्यालय सहरसा शहर में मुख्य सड़क के बीच गली में पटाखा की दुकान लोगों के लिए खतरे की घंटी बजा रही है। वैसे दीपावली के नजदीक आते ही प्रशासनिक महकमे को अपनी जिम्मेदारी की याद आती है और जांच के नाम पर खानापूरी कर कार्रवाई संपन्न हो जाती है।
जानकारी अनुसार शहर के सबसे व्यस्ततम बाजार डीबी रोड में पटाखे की कई दुकानें सजती है। इसी मार्ग में शंकर चौक के समीप सकरी गली में पटाखे का थोक दुकान संचालित है। शहर के अति व्यस्ततम बाजार में आतिशबाजी की दुकान के अगल-बगल में दर्जनों दुकानें है। एक तो संकरी गली है और ऊपर से आसपास ही नहीं उससे सटे कई दुकानें हैं। जहां दुकानदार दुकान खोलने के बाद पूजा के लिए अगरबत्ती जलाने के लिए दियासलाई जलाते हैं। अगर एक भी चिगारी पटाखे से लग गयी तो पलभर में दुकान में मौजूद बारूद बाजार को राख कर सकता है। जानकार बताते हैं कि दुकान के ईद-गिर्द भारी मात्रा में पटाखों का स्टाक है। यदि आग भड़कती है तो पूरा इलाका आग के हवाले हो जाएगा। स्थानीय लोगों ने इस मामले में जिला प्रशासन से हस्तक्षेप करने की जरूरत बतायी है कि आखिर किसकी सहमति व आदेश से आतिशबाजी की थौक दुकानें धड़ल्ले से चल रही है। जबकि जानकार कहते हैं कि धनी आबादी में खासकर बाजार में तो आतिशबाजी की दुकान खुल नहीं सकती है। उसके लिए कई सख्त नियम व कानून कायदे हैं। लेकिन सारे कानून व नियम को ताक पर रखकर जिला प्रशासन को ठेंगा दिखाकर लोगों की जान को जोखिम में डालकर आतिशबाजी की दुकानें चल रही है। लोगों ने जिलाधिकारी से इन मौत की दुकानों पर अंकुश लगाने की मांग की है। जिससे समय रहते किसी अनहोनी से बचा जा सकें।