Move to Jagran APP

16 साल से बांग्लादेश में फंसी बिहार की अंजली, जानिए उसकी दर्द भरी कहानी

बिहार के सहरसा की मंजू उर्फ अंजली 16 साल से बांग्लादेश में फंसी हुई है। उसकी वापसी को लेकर पिता हर दरवाजा खटखटा रहे हैं। लेकिन व्‍यवस्‍था है कि सुनने का नाम नहीं ले रही।

By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 24 Dec 2017 10:38 AM (IST)Updated: Sun, 24 Dec 2017 05:04 PM (IST)
16 साल से बांग्लादेश में फंसी बिहार की अंजली, जानिए उसकी दर्द भरी कहानी
16 साल से बांग्लादेश में फंसी बिहार की अंजली, जानिए उसकी दर्द भरी कहानी

सहरसा [अमरेंद्र कांत]। बिहार की एक युवती बांगलादेश में 16 साल से फंसी हुई है। पिता उसकी रिहाई के लिए जिलाधिकारी से लेकर विदेश मंत्रालय तक चक्‍कर काटकर थक गए हैं, लेकिन हासिल शून्‍य है। हम बात कर रहे हैं सहरसा के झमटा गांव की अंजली उर्फ मंजू देवी की। बिहार के एक गांव से लापता होकर बांगलादेश पहुंच जाने तथा वहां फंसने की उसकी पूरी कहानी दर्द भरी है।
दरभंगा में हुई शादी

loksabha election banner

सहरसा के महिषी प्रखंड अंतर्गत जलई ओपी में झमटा गांव स्थित है। मंजू वहीं की रहने वाली है। उसके पिता जियालाल पासवान ने बताया कि मंजू की शादी वर्ष 1992 में दरभंगा जिला के घनश्यामपुर थाना क्षेत्र अंर्तगत अधारपुर टोला निवासी मोहन पासवान से हुई थी। मंजू को एक पुत्र व एक पुत्री है।

बांग्‍लादेश के जेल में मिली

इसके बाद वह मानसिक रूप से बीमार हो गईं। 2001 में वह अचानक घर से भाग गईं। काफी खोजबीन के बाद भी जब वह नहीं मिली तो लोगों ने उन्हें मृत मान लिया। इसके बाद प्रखंड कार्यालय से 17 मार्च 2002 को उन्हें सूचना दी गई कि उनकी पुत्री बांग्लादेश के पवना जेल में है।

पिता ने किया विदेश मंत्रालय में संपर्क

सूचना मिलने पर पिता जियालाल ने जिलाधिकारी के यहां आवेदन दिया। इस संबंध में उन्होंने सांसद रंजीत रंजन से भी मुलाकात की। सांसद के पत्र पर तत्कालीन विदेश मंत्री नटवर सिंह ने कार्रवाई का भरोसा दिया, लेकिन कार्रवाई नहीं हो पाई।

कार्रवाई को ले प्रशासन उदासीन

इसी बीच 2009 में जिलाधिकारी के प्रभारी पदाधिकारी ने भी बीडीओ को पत्र लिखकर सरकारी स्तर से प्राप्त संदेश के संबंध में जानकारी मांगी। बावजूद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। हद तो यह है कि प्रभारी जिलाधिकारी नवदीप शुक्‍ला मामले की जानकारी तक से इन्‍कार कर रहे हैं। उनकी मानें तो उन्‍हें अब मामले की जानकारी मिली है। अब इसपर कार्रवाई की जाएगी।
2011 में मिली जेल से रिहाई

इस बीच जियालाल लगातार अपनी बेटी की बरामदगी के लिए पत्राचार करते रहे। विदेश मंत्रालय से 22 सितंबर 2017 को उन्हें एक पत्र भेजा गया। इसमें कहा गया कि मदद पोर्टल एंबेसी को इसकी सूचना दी गई है। वहां से बताया कि अंजली देवी उर्फ मंजू 2002 में पावना जेल में थी और जमानत मिलने पर 30 जून 2011 को सतखिरा जेल से रिहा हुई थीं।

पति ने कर ली दूसरी शादी, पिता पर बच्‍चों की जिम्‍मेदारी

विदेश मंत्रालय द्वारा मंजू के संबंध में उनके पिता से कुछ और जानकारी मांगी गई है। इस बीच मंजू के पति ने कुछ वर्ष पूर्व दूसरी शादी कर ली है। अब बूढ़े पिता पर ही मंजू के दोनों बच्चे मिसर पासवान एवं कंचन कुमारी की जिम्मेदारी है।

बहरहाल, मंजू का परिवार उसके लौटने का इंतजार कर रहा है। मंजू के बाएं हाथ पर पति मोहन पासवान का नाम गोदा हुआ है। यही उनकी मूल पहचान है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.