सूफी गायिकी से अभिनव ने बनाई पहचान
सहरसा। बपचन से गायिकी की शौक रखने वाले अभिनव आकर्ष आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं।
सहरसा। बपचन से गायिकी की शौक रखने वाले अभिनव आकर्ष आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। इंजीनियर की डिग्री हासिल करने के बाद भी गायिकी से जुड़े रहे और आज सूफी गायिकी से अलग पहचान स्थापित की है। कोसी महोत्सव में भाग लेने पहुंचे अभिनव ने कहा कि वो कोसी की धरती पर पहली बार आए हैं। बिहार के मोतिहारी जिले के अमला पट्टी निवासी अभिनव ने बताया कि छह वर्ष की उम्र से ही मंच पर गाना शुरू कर दिया। पारिवारिक पृष्ठभूमि संगीत के नहीं रहने से उन्होंने बीटेक की डिग्री ली। लेकिन गायन के प्रति बढ़ती रूचि के कारण बनारस घराना पंडित मार्केण्डय मिश्रा से संगीत की दीक्षा ली और शास्त्रीय संगीत से भाष्कर एवं सुगम संगीत से विशारद की। बचपन से ही सूफी गायन के प्रति समर्पित रहे अभिनव ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने बताया कि
आकाशवाणी व दूरदर्शन के लिए नियमित कार्यक्रम आयोजित होते रहे है। इन्हें वर्ष 2003 में लोक गायन में प्रथम पुरस्कार मिल चुका है। इसी वर्ष पूर्वी चंपारण द्वारा गायन के क्षेत्र में विशिष्ट उपलब्धियों को देखते हुए सर्वश्रेष्ठ गायक सम्मान से सम्मानित हो चुके है। वो अबतक कई सांस्कृतिक महोत्सवों में अपनी सूफी गायन की प्रस्तुतियों से लोगों का दिल जीत चुके है। इन्होंने अबतक केसरिया महोत्सव, मोतिहारी महोत्सव, चंपारण सांस्कृतिक महोत्सव, विक्रमशिला महोत्सव, अंग महोत्सव में अपनी गायिका का लोहा मनवाया है।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कलाकारों के साथ कर चुके है मंच साझा
पूरे देश में विभिन्न राष्ट्रीय आयेाजन को लेकर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय कलाकारों के साथ मंच साझा कर चुके है। जिसमें गुलाम अली, वेडाली ब्रदर्स, अहमद हुसैन, मोहम्मद हुसैन, चंदन दास आदि शामिल है। वहीं ¨सगर कल्पना जी के साथ युगल गीत गाने का मौका मिला है। अंतर्राष्ट्रीय कलाकार कैलाश खैर व मशहूर गायक शान द्वारा पुरस्कृत हो चुके है।