व्यवहारिक जीवन में भी ¨हदी को अपनाने की जरूरत
सहरसा। हिन्दी को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा मिलने के बावजूद आज हिन्दी अपने देश में ही अपेक्षित मह
सहरसा। हिन्दी को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा मिलने के बावजूद आज हिन्दी अपने देश में ही अपेक्षित महसूस कर रही हैं। हिन्दी भाषा की सार्थकता को लेकर शुक्रवार को स्थानीय ईस्ट एन वेस्ट टीचर ट्रे¨नग कॉलेज के बहुउद्देशीय कक्ष में हिन्दी भाषा के सर्वांगीण विकास व संरक्षण को लेकर आयोजित परिचर्चा में बीएड व डीएलएड के छात्र अध्यापकों ने खुलकर अपने अपने विचार को व्यक्त किया। हिन्दी के विकास में सबसे बड़ी रुकावट क्षेत्रीय भाषाओं को बताया गया। हिन्दी को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा मिलने के बावजूद इस भाषा को अबतक संवैधानिक दर्जा नहीं मिलने को लेकर छात्र अध्यापकों ने कहां की जबतक हर क्षेत्र में हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने के लिए इस भाषा को राष्ट्रीय भाषा के रूप में नहीं अपनाया जाएगा तबतक यह भाषा संवैधानिक रूप नहीं ले सकता है। महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य मिथिलेश कुमार ने हिन्दी भाषा की सार्थकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिन्दी सिर्फ भाषा ही नहीं बल्कि हमारी संस्कृति भी है। इसलिये इस देश में रहने वाले सर आदमी को हिन्दी भाषा के समुचित हेतु हिन्दी को केवल बोलचाल ही नहीं बल्कि इसे व्यवहारिक जीवन में भी उतारना होगा। कॉलेज के प्राध्यापक रंजय कुमार राजा व निलेश राय ने हिन्दी दिवस की महत्ता पर चर्चा करते हुये कहा कि सिर्फ दिवस मना लेने से हिन्दी का विकास नहीं होगा। बल्कि हिन्दी को जनजन का भाषा बनाने के लिए हिन्दी को हर रूप में अपनाना होगा। कॉलेज के जन संपर्क पदाधिकारी अभय कुमार ने हिन्दी दिवस पर आयोजित परिचर्चा को संबोधित करते हुए भारतीय संस्कृति के ज्ञान दर्शन व सांस्कृतिक विरासत को सही मायनों में समझने के लिए सबसे पहले हिन्दी भाषा को जानने पर जोर दिया।