नौवीं में पढ़ाई के आदित्य के पिता की हो गई थी हत्या
सहरसा। जब वो नौवीं में पढ़ाई कर रहे थे उस वक्त उसके सिर से पिता का साया उठ गया। उसके
सहरसा। जब वो नौवीं में पढ़ाई कर रहे थे उस वक्त उसके सिर से पिता का साया उठ गया। उसके पिता की हत्या कर दी गयी। लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और अपनी प्रतिभा से सूबे में दसवां स्थान हासिल कर लिया। शहर के जिला स्कूल के छात्र आदित्य कुमार मैट्रिक बोर्ड की परीक्षा में पूरे सूबे में टॉप टेन में शामिल होकर स्कूल का नाम रौशन किया है। इनकी सफलता पर स्कूल के प्राचार्य सहित शिक्षकों ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि आदित्य पढ़ने में तेज था और शिक्षकों का आदर करता था। शहर के गौतमनगर गंगजला मुहल्ला में किराया के मकान में रहकर आदित्य ने पढाई पूरी की। 471 अंक लाकर आदित्य कुमार ने जिला स्कूल को पूरे सूबे में गौरवान्वित किया है। स्व. अनिल कुमार विश्वास के दो पुत्रों में बड़े आदित्य कुमार ने प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव के स्कूल में ही पूरी की। आदित्य का पैतृक गांव सहरसा जिले से सटे सुपौल जिले के पिपराखुर्द है। इनकी माता मीलम देवी गृहिणी हैं। आदित्य वर्ग नवम की ही पढाई करने सहरसा आए थे। जिला स्कूल में वर्ग नवम में ही दाखिला लिया था। वर्ग दशम बोर्ड की परीक्षा जिला स्कूल से ही दी थी। आदित्य अपनी इस सफलता का सारा श्रेय अपने घरवालों विशेषकर बडे पापा प्रदीप कुमार विश्वास एवं शिक्षकों को देते हैं। जिनके सहयोग से उन्होंने यह सफलता हासिल की है। आदित्य पूछने पर बताते हैं कि वे भविष्य में इंजीनियर बनना चाहते हैं। आदित्य की सफलता पर उसके गांव में भी खुशी का माहौल है।
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पढाई के दौरान ही सिर से उठ गया पिता का साया
सहरसा में वर्ग नवम की पढाई के दौरान ही आदित्य कुमार के सिर से पिता का साया उठ गया।
पूरे बिहार के टॉप टेन में आने से आदित्य कुमार के बडे पापा यानि उसके पिता के बड़े भाई प्रदीप कुमार विश्वास अपने भतीजे की सफलता पर सीधे कहा कि हमलोग आज भी उस घटना को यादकर दुखी हो जाते है। आज भी घर में सब उसी घटना को याद कर सहमे हुए हैं। वे कहते है कि 24 दिसंबर 18 को गांव में ही आदित्य के पिता अनिल कुमार विश्वास की हत्या कर दी गयी थी। इसके बाद घर पर विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ा। आदित्य के पिता गांव में ही मजदूरी कर परिवार का पालन पोषण करते थे। इनके जाने के बाद आदित्य की पढ़ाई का जिम्मा इनके बड़े पापा ने उठाया और जिला स्कूल सहरसा में उसकी पढाई जारी ही रखा। सहरसा में ही उसे रहने के लिए छोड़ दिया गया। जहां उसकी निगरानी कर उसकी पढ़ाई पूरी करवायी। प्रदीप विश्वास कहते हैं कि अभी भी मामला न्यायालय में चल रहा है। जिस कारण पूरा परिवार ही चितित रहते हैं। आदित्य ने विपरीत परिस्थिति में अपनी पढ़ाई की है।