गंवई प्रतिभा से पिछड़ने लगे शहरी
सहरसा। सुविधा के मामले में भले ही शहरी इलाका संपन्न हो लेकिन मैट्रिक परीक्षा के जारी परि
सहरसा। सुविधा के मामले में भले ही शहरी इलाका संपन्न हो लेकिन मैट्रिक परीक्षा के जारी परिणाम यह बता रहा है कि कम संसाधन में भी बेहतर परिणाम दिया जा सकता है। कुल मिलाकर इस बार के परिणाम ने बता दिया है कि गंवई प्रतिभा से शहरी पिछड़ने लगे हैं।
कोसी प्रमंडल से सहरसा की स्तुति ने सूबे में छठा स्थान हासिल किया है। वहीं सुपौल जिले के पिपरा खुर्द के मूल निवासी आदित्य ने सूबे में दसवां स्थान हासिल किया है। दोनों ही ग्रामीण परिवेश से आते हैं। जिनकी प्रतिभा का लोहा पूरा राज्य मान रहा है। स्तुति भी चैनपुर गांव की है। इन दोनों बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा गांव में हुई।
2019 में भी दिखी थी गंवई प्रतिभा
बीते वर्ष 2019 में भी सौरबाजार के लक्ष्मीनियां गांव निवासी संजय कुमार एवं जानकी देवी के पुत्र हर्ष ने सूबे में पांचवां स्थान हासिल किया था। हर्ष सिमुलतला आवासीय विद्यालय का छात्र था। वहीं सुपौल जिले के राघोपुर प्रखंड के पिपराही निवासी प्रफुल्ल सिंह के पुत्र रौशन ने सूबे में पांचवां व त्रिवेणीगंज प्रखंड के अतलखा बेलही निवासी मनोज कुमार के पुत्र चंचल कुमार ने नौवां स्थान हासिल किया था। यह दोनों बच्चे भी सिमलतुला में पढ़ते थे। जानकार बताते हैं कि ग्रामीण अंचल के वैसे छात्र-छात्राएं अपनी पढ़ाई पर अधिक ध्यान देते हैं जिन्हें पढ़ना होता है। वहीं शहरी क्षेत्र में प्रतिभा संपन्न बच्चे भी गलत संगति में पढ़ाई से दूर हो जाते हैं। इसके अलावा शहरी इलाके के बच्चे मोबाइल व अन्य डिजीटल तकनीकों में अधिक समय व्यतीत करते हैं।