Move to Jagran APP

सेविका चयन मामले की नहीं सुलझ रही गुत्थी

सहरसा। वर्षों के खींचतान के बाद जिले में आंगनबाड़ी सेविका- सहायिका के चयन की प्रक्रिया प्रारंभ तो हुई

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Jan 2020 06:48 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jan 2020 06:08 AM (IST)
सेविका चयन मामले की नहीं सुलझ रही गुत्थी
सेविका चयन मामले की नहीं सुलझ रही गुत्थी

सहरसा। वर्षों के खींचतान के बाद जिले में आंगनबाड़ी सेविका- सहायिका के चयन की प्रक्रिया प्रारंभ तो हुई परंतु छह महीने में भी आमसभा को संपन्न नहीं कराया जा सका। जहां आमसभा हुआ, वहां से शिकायतों की बाढ़ आ गई। जिलाधिकारी शैलजा शर्मा ने टीम गठित कर सभी शिकायतों की जांच का आदेश दिया, परंतु इसके निष्पादन में प्रशासन बेहद ही सुस्ती बरत रहा है। जांच के नाम पर हर दिन तारीख बढ़ती जा रही है, जिसके कारण लोगों में असंतोष गहरा रहा है। इस बीच शेष आंगनबाड़ी केन्द्रों के आमसभा की तिथि निर्धारित की जा चुकी है। परंतु, जिन केन्द्रों के मामले की जांच चल रही है, उसमें विलंब होने से मामलों के उच्च न्यायालय में जाने की संभावना बढ़ गई है। 136 मामलों की हो रही है जांच जिलाधिकारी व अन्य वरीय अधिकारियों को प्राप्त शिकायतों के आधार पर 136 मामलों की जांच शुरू हुई। इसके लिए संचिका तो खोला गया,परंतु जांच कच्छप गति से चल रहा है। प्रतिदिन प्रमंडलीय आयुक्त से लेकर जिलाधिकारी तक आवेदन पड़ रहा है। आईसीडीएस निदेशक से लेकर जिलाधिकारी तक के निदेश की परवाह किए बगैर मनमाने तरीके से चयन प्रक्रिया को अंजाम गया। अनियमितता के कारण जिले भर में आमसभा के दौरान हंगामा हुआ, कई जगह महिला पर्यवेक्षिकाओं के साथ मारपीट हुई। आमसभा के वीडियो के आधार पर कई पर्यवेक्षिकाओं की भूमिका की भी जांच चल रही है। बावजूद इसके महिला पर्यवेक्षिकाओं के व्यवहार में कोई तब्दीली नहीं आई। दोबारा हुए आमसभा में अनयिमितताओं की सीमा टूट गई। हर जगह आमसभा में हंगामा और मारपीट हुई इसी तरह वर्ष 2013 में सेविका- सहायिका चयन में वरीय अधिकारियों के सचेत नहीं रहने के कारण पूरे जिले में रूपए और पैरवी का दौड़ चला, जिसके कारण जिला प्रशासन उच्च न्यायालय में डेढ़ सौ से अधिक मामले को झेल रहा है। अगर अभी भी बाल विकास परियोजना और जिला प्रशासन गंभीर नहीं हुआ तो वर्तमान समय में चल रही बहाली भी सिरदर्द बन सकता है। एक सौ से अधिक केंद्रों का अभी बांकी है आमसभा मैपिग पंजी बनाने,ऑनलाइन आवेदन करने, मेधा सूची बनाने में अनियमितता बरते जाने के साथ-साथ बड़े पैमाने पर संस्कृत और उर्दू के फर्जी प्रमाणपत्रों का खेल बहाली के नाम पर किया गया। सूत्र बताते हैं कि बहाली की प्रक्रिया प्रारंभ होते ही फर्जी प्रमाणपत्र बनानेवाला गिरोह भी सक्रिय है। इस प्रमाणपत्र का उपयोग कर वास्तविक प्रमाणपत्र वाले आवेदकों को मात देने में लगे हैं। कहीं फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र का उपयोग किया जा रहा है, तो कहीं गलत जाति प्रमाणपत्र के पैसे के भरोसे बहाली की जुगत की जा रही है। ऐसे में चयन प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर अनियमितता की संभावना को इंकार नहीं किया जा सकता है। नियमानुसार ऑनलाइन और ऑफलाइन आवेदन करनेवाले आवेदकों को ही मेधा सूची में शामिल किया जाना है,परंतु वैसे और पैरवी के बल पर ऑनलाइन आवेदन नहीं करनेवाले आवेदकों को भी मेधा सूची में शामिल कर लिया गया। ऊपर से आमसभा में बड़े पैमाने पर अनियमितता बरती जा रही है। दूसरी ओर 416 केन्द्र की सेविका- सहायिका चयन के लिए अबतक तीन सौ के लिए ही आमसभा किया जा सका। जहां आमसभा संपन्न हुआ, उसके शिकायतों की जांच अधर में लटका हुआ है।

loksabha election banner

कोट के लिए

चयन मामले में अधिकांश जगहों से प्रमाणपत्रों की शिकायत मिली है। उसकी जांच कराई जा रही है। संबंधित बोर्ड को प्रमाणपत्र सत्यापन के लिए भेजा गया है। प्राप्त शिकायतों को गंभीरता से लिया जा रहा है। जिलाधिकारी के निदेश पर अनियमितताओं की जांच कमेटी के माध्यम से कराई जा रही है। सभी शिकायतों के लिए अलग- अलग संचिका तैयार की गई है। प्रमाणपत्रों का सत्यापन होते ही उचित कार्रवाई की जाएगी। रीता सिन्हा, डीपीओ, आईसीडीएस, सहरसा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.