केरल में बिहार का परचम लहराएंगी रोहतास की दो बेटियां
रोहतास। सच ही कहा गया है कि सूरज को दीपक दिखाया नहीं जाता परिदों को उड़ना सिखाया
रोहतास। सच ही कहा गया है कि सूरज को दीपक दिखाया नहीं जाता, परिदों को उड़ना सिखाया नहीं जाता, जिनके जिगर में हो जुनून और हौसले बुलंद, वे रास्ते खुद बनाते है, उन्हें रास्ता दिखाया नहीं जाता। पटना के तारामंडल सभागार में आयोजित राज्यस्तरीय सु²ढ़ीकरण कार्यशाला में शामिल 50 बाल वैज्ञानिकों में से जिले के दो बाल वैज्ञानिक का चयन 27 दिसंबर से केरल के तिरूवंतपुरम में आयोजित होने वाले 27 वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस के लिए अंतिम रूप से किया गया है, जो बिहार का परचम लहराएंगी। जो बाल वैज्ञानिक केरल के राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में भाग लेंगी, उसमें बाल वैज्ञानिक विज्ञान केंद्र की पूजा कुमारी व उच्च विद्यालय नासरीगंज की मानसी कुमारी शामिल है। पूजा केंद्रीय विद्यालय के आठवीं ए की छात्रा है।
चयनित छात्रा पूजा व मानसी ने कहा कि हौसला बुलंद व मिशन तय हो, तो कठिन काम भी आसान हो जाता है और सफलता अवश्य मिलती है। उनका प्रयास होगा कि राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में भी सफलता हासिल कर जिले का नाम पूरे देश में रोशन करें। सफलता के पीछे किसी न किसी की प्रेरणा रहती है। सायंस फॉर सोसायटी के जिला समन्वयक सह सेवानिवृत्त शिक्षक सुदामा पांडेय के अलावा शिक्षक सत्यबंधु सिंह, गाइड शिक्षक व पूर्व बाल वैज्ञानिक अजय कुमार, मनीष कुमार का योगदान अहम रहा और हम छात्राओं को इस लायक समझा गया। जिला समन्वयक के मुताबिक आठ से दस नवंबर तक मधुबनी में आयोजित राज्यस्तरीय बाल विज्ञान कांग्रेस में जिले से सात बाल वैज्ञानिक शामिल हुए थे। जिसमें पूरे बिहार से 50 बाल वैज्ञानिक स्टेट अवार्डी के रूप में चयनित किए थे। जिसमें तीन बाल वैज्ञानिक रोहतास जिले से थे।
चयनित अवार्डी बाल वैज्ञानिकों का दो दिवसीय सु²ढ़ीकरण कार्यशाला पटना के तारामंडल सभागार में आयोजित की गई। जिसमें जिले के तीनों अवार्डी बाल वैज्ञानिक शामिल हुए थे। निर्णायक मंडल ने पूजा व मानसी के प्रोजेक्ट का चयन राष्ट्रीय स्तर के बाल विज्ञान कांग्रेस के लिए किया। हालांकि श्रीसूरज हरिजन उच्च विद्यालय विशेनी की छात्रा व बाल वैज्ञानिक खुशी कुमारी सुपर थर्टी में अपना स्थान नहीं बना पाई, लेकिन उसका भी प्रदर्शन उम्दा रहा। पूजा ने आरओ से निकले बेकार पानी का संरक्षण, खुशी ने इथनॉल तेल से जैव संरक्षण व मानसी का फेंके गए बेकार फूल से गुलाब जल व धूप बत्ती का निर्माण करना विषय था।