कभी थे शहर की जीवन रेखा, अब मिट रहा वजूद
रोहतास। जिला मुख्यालय वाले इस शहर को यदि हम मकबरों का शहर के रुप में जानते हैं, तो इसे तालाबों का शह
रोहतास। जिला मुख्यालय वाले इस शहर को यदि हम मकबरों का शहर के रुप में जानते हैं, तो इसे तालाबों का शहर कहना भी कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। लेकिन जीवन का पर्याय कहे जाने वाले जल के पारंपरिक व प्राकृतिक स्त्रोत तेजी से विलुप्त हो रहे हैं। भू-माफिया व बिल्डर तालाबों को पाटकर उनकी कब्र पर आलीशान इमारतें खड़ी कर रहे हैं। कड़वा सच यह है कि कई तालाबों, पोखरों, झीलों और कुओं का वजूद मिट चुका है। शहर में स्थित सागर, शेरशाह का मकबरा, सलीमशाह तालाब, रामजानकी मंदिर, बेदा सूर्यमंदिर पोखरा समेत कुछ अन्य तालाबों को यहां की जीवन रेखा माना जाता था। जिससे वर्षों से शहर का भूगर्भ जलस्तर अपेक्षाकृत बना हुआ है। लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा व निजी स्वार्थ में अधिकतर तालाबों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। जो बचे हैं उनमें बह रही शहर की नालियां :
शहर के अधिकांश तालाब अतिक्रमण के चलते अपना स्वरूप खोते जा रहे हैं। सालों भर पानी से लबालब भरा रहने वाले तालाब कभी शहर की जीवन रेखा साबित हुआ करते थे। बुजुर्ग जनेश्वर सिंह की मानें तो गर्मी के दिनों में भी इन तालाबों में साफ पानी रहता था। लेकिन अब गंदगी व दुर्गंध से इसका पानी उपयोग लायक नहीं बचा है। रामेश्वर साहू कहते हैं कि आस-पास के लोग इसमें नालियों का पानी बहाते हैं व कूड़ा-कचरा भी फेंकते हैं। जिससे रोज ब रोज तालाब उथला होता जा रहा है। कई लोग तो सागर तालाब का कुछ हिस्सा भरकर उस पर अपना घर तक बना चुके हैं। शेरशाह का एतिहासिक तालाब भी है गंदा :
शेरशाह सूरी का एतिहासिक तालाब भी गंदगी की भेंट चढ़ चुका है। जबकि इसके संरक्षण व देखरेख की जवाबदेही भारतीय पुरातत्व संरक्षण विभाग के जिम्मे है। इतना ही नहीं जिले में ओडीएफ की सफलता से उत्साहित जिला प्रशासन ने भी लगभग दो माह पूर्व मकबरे के आसपास साफ-सफाई को ले कार्य योजना तैयार की थी। इसके तहत सदर एसडीएम के नेतृत्व में एक टीम भी गठित की गई थी। लेकिन समाहरणालय में बनी यह योजना वहां से महज आधा किमी की दूरी पर स्थित मकबरे तक दो माह बाद भी नहीं पहुंच पाई है। जागरुकता है जरूरी :
अब यह आवश्यक हो गया है कि तालाबों को बचाने के लिए सामाजिक जागरूकता बढ़ाई जाए। इसके लिए सबसे पहले तालाबों को पुनर्जीवित व प्रदूषण मुक्त करना होगा। अवैध कब्जे और बदहाली के शिकार तालाबों के जीर्णोद्धार के लिए सबको आगे आना होगा। लगभग एक दशक पूर्व पटना उच्च न्यायालय में दायर एक जनहित याचिका के आधार पर कोर्ट ने तालाब को बचाने के लिए प्रशासन व पुलिस को सख्त निर्देश देते हुए उसमें गंदा पानी नहीं गिराने, कपड़ा आदि धोने व स्नान करने को भी प्रतिबंधित कर दिया था।
कहते हैं अधिकारी :
सभी तालाबों को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए सर्वे का कार्य किया गया है। सीओ, नप ईओ से तालाबों को अतिक्रमण मुक्त करा पुराने स्वरूप में लौटाने के लिए कहा गया है।
लालबाबू सिंह
अपर समाहर्ता-रोहतास