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बॉटम : सूचना के अधिकार पर अधिकारी फंसा रहे पेंच

आम लोगों के लिए हथियार के रूप में प्रयोग किए जाने वाले सूचना के अधिकार पर अधिकार ।

By JagranEdited By: Published: Thu, 27 Jul 2017 03:06 AM (IST)Updated: Thu, 27 Jul 2017 03:06 AM (IST)
बॉटम : सूचना के अधिकार पर अधिकारी फंसा रहे पेंच
बॉटम : सूचना के अधिकार पर अधिकारी फंसा रहे पेंच

रोहतास। आम लोगों के लिए हथियार के रूप में प्रयोग किए जाने वाले सूचना के अधिकार पर अधिकारी पेंच फंसा रहे हैं। यानि सरकार की नीति को लागू करने में अधिकारियों की नीयत आड़े आ रही है। अपनी कलई खुलने के डर से सूचना देने में आनाकानी कर रहे हैं। सूचना पाने के लिए आवेदक को महीनों की कौन कहे, कई साल तक चक्कर लगाने पड़ रहे है।

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राज्य सूचना आयोग ऐसे कई मामलों में दोषी लोक सूचना अधिकारियों पर अर्थदंड़ भी लगा रहा है। जुर्माना की राशि अधिकारी अपनी वेतन से दे रहे हैं। बावजूद सूचना छिपाने की आदत से बाज नहीं आ रहे है। कहीं - कहीं तो ऐसे मामले भी प्रकाश में आया है कि लोक सूचना अधिकारी आवेदक से लागत से कई गुना अधिक सूचना देने में आने वाले लागत खर्च मांग उनके इरादों को कमजोर करने के प्रयास भी कर रहे हैं। इतना ही नहीं गलत तथ्य दे सूचना देने में पेंच भी फंसा रहे है।

पच्चास के बदले पांच हजार जमा करने का फरमान:-

आरडब्लूडी डिवीजन दो के कार्यपालक अभियंता से आरटीआइ कार्यकर्ता नारायण गिरी ने सांसद निधि से कराई जाने वाली पीसीसी सड़क निर्माण कार्य की गुणवत्ता रिपोर्ट व कार्य आरम्भ करने के पूर्व व पूर्ण होने के डिजिटल फोटोग्राफी उपलब्ध कराने के संबंध में गत 17 जून 2017 को सूचना मांगी थी। सूचना मांगे जाने के ठीक दो दिन बाद आवेदक से यानि 19 जून को सूचना उपलब्ध कराने के लिए फोटो स्टेट व फोटो स्टेट तथा फोटोग्राफी के लिए पांच हजार रुपये जमा करने को कहा गया। आवेदक ने उपलब्ध कराई जाने वाली सूचना में होने वाले खर्च की विस्तृत जानकारी जैसी ही मांगी तो अधिकारियों की धिग्गी बंध गई। महज पांच पन्नों के रिपोर्ट का फोटो स्टेट खर्च व और दो डिजिटल फोटो पर खर्च होने पर मौखिक आपत्ति दर्ज कराई। सकते में आए कार्यपालक अभियंता ने आनन -फानन में पांच हजार रुपये जमा करने के संबंध में निर्गत किए गए पत्र को स्थगित कर दिया। गत 10 जुलाई 2017 को नि:शुल्क में सूचना दी।

राज्य सूचना आयोग के हस्तक्षेप पर लौटानी पड़ी राशि:

दिनारा प्रखंड के मनरेगा योजना के संबंध में सूचना मांगे जाने पर कार्यक्रम पदाधिकारी ने आवेदक से सूचना प्राप्त करने के एवज में 2485 रुपये जमा करा लिया गया। उपलब्ध कराए गए दस्तावेज पर आने वाला खर्च महज 857 रुपये ही था। राज्य सूचना आयोग के संज्ञान में मामला लाए जाने पर लोक सूचना अधिकारी को शेष 1628 रुपये वापस करना पड़ा।

एसपी ने सूचना देने मे की आनाकानी :

एसपी रोहतास से वर्ष 2012 में आरटीआइ के तहत प्राप्त आवेदन व उसके निष्पादन की जानकारी मांगी गई थी। राशि जमा करने के 19 महीने बाद भी सूचना नहीं मिली। राज्य सूचना आयोग ने मामले में डीजीपी को भी संज्ञान लेने को कहा। उक्त मामले में सूचना देने में विलंब के कारण का खुलासा नहीं करने पर पच्चीस हजार रुपये का अर्थदंड़ भी लगाया था।


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