कैमूर पहाड़ी के तीन खदानों की होगी शीघ्र बंदोबस्ती
लगभग पांच वर्षों से बंद पड़े कैमूर पहाड़ी पर खनन कार्य के लिए खदानों की बंदोबस्ती।
रोहतास। लगभग पांच वर्षों से बंद पड़े कैमूर पहाड़ी पर खनन कार्य के लिए खदानों की बंदोबस्ती को ले सरकार सख्त हो गई है। खनन विभाग की हुई समीक्षा बैठक में विशेष सचिव ने प्रभारी पदाधिकारी को शीघ्र बंदोबस्ती प्रक्रिया को पूरा करने का निर्देश दिया है। ताकि चालू वित्तीय वर्ष से ही राजस्व की प्राप्ति हो सके। वहीं बैठक में मिले निर्देश के बाद इस दिशा में विभाग ने पहल शुरू कर दी है। सरकार के इस निर्णय से पत्थर कारोबारियों व खनन क्षेत्र के लोगों में खुशी है। अधिकारियों के अनुसार विभाग ने बंदोबस्ती संबंधी प्रस्ताव तैयार कर अग्रतर कार्रवाई के लिए उसे डीएम के पास दिया गया है। जिस पर डीएम ने वन विभाग को एनओसी देने के लिए कहा है। खदान बंदोबस्त को ले मिले नए निर्देश से व्यवसायियों में उम्मीद जग गई है। डेढ़ माह पहले भी विशेष सचिव ने भेजा था स्मार पत्र :
निर्णय के बावजूद बंदोबस्ती प्रक्रिया को पूरा नहीं किए जाने को गंभीरता से लेते हुए विभाग के विशेष सचिव सह निदेशक असांगबा चुबा आओ ने लगभग डेढ़ माह पहले भी डीएम को पत्र भेजा था। जिसमें निदेशक ने बंदोबस्ती के संबंध में की गई कार्रवाई से अब तक अवगत नहीं कराने पर नाराजगी जताई थी। साथ ही करवंदिया पहाड़ से जुड़े गायघाट व गिजवाही मौजा के तीन ब्लॉक लोक नीलामी नियमानुकूल शीघ्र करने का निर्देश दिया था। फिलहाल तीन ब्लॉक के खनन पट्टा की होगी बंदोबस्ती :
वन विभाग से एनओसी मिलने के बाद फिलहाल गायघाट व गिजवाही मौजा के तीन ब्लॉक के खनन पट्टा की बंदोबस्ती की जानी है। बंदोबस्ती व खनन कार्य की अनुमति देने से पूर्व विभाग को यह भली-भांति सुनिश्चित करना होगा कि बंदोबस्त भू-खंड से उत्तर तरफ 100 मीटर पक्की दीवार का निर्माण हुआ है की नहीं। ताकि वन क्षेत्र की भूमि का अतिक्रमण या अवैध खनन की गुंजाइश न रहे। इसके पहले विभाग ने 2017 में मई व सितंबर में डीएम को पत्र भेज चिह्नित तीन ब्लॉक के खदान की लोक नीलामी करने का निर्देश दिया था। जबकि फरवरी 2017 में वन व खनन के प्रधान सचिव की हुई संयुक्त बैठक में वन विभाग द्वारा सशर्त्त खदान को बंदोबस्त करने पर अपनी सहमति दी गई थी। जून 2012 से बंद है खनन कार्य :
जिले में अनुज्ञप्तिधारी लगभग पौने चार सौ क्रशर मशीनों के लाइसेंस खत्म करने के बाद अवैध खनन पर पूर्ण रूप से रोक लगाने को ले जिला प्रशासन ने जून 2012 में दो वैध खनन पट्टों की वैधता को भी समाप्त कर उसकी अनुज्ञप्ति रद कर दी थी। तब से सरकारी फाइल में करवंदिया पहाड़ से खनन कार्य अब तक बंद माना जाता रहा है। बावजूद खदान में हर रोज बड़े पैमाने पर विस्फोट कर पत्थर तोड़ने व क्रशर मशीन चलाने का अवैध धंधा बदस्तूर जारी है। जबकि इस पर रोक लगाने के लिए पुलिस व प्रशासन ने संयुक्त रूप से आज तक कई बार कार्रवाई भी कर चुका है। लेकिन इस अवैध धंधा पर रोक लगने की बजाए और फल फूल रहा है। खुशहाली के साथ राजस्व में होगी वृद्धि :
खनन पट्टों की बंदोबस्ती व पत्थर उद्योग के फिर से चालू होने से जिले में छाई बेकारी दूर तो होगी ही, इससे हजारों परिवारों के घर में खुशहाली आएगी। साथ ही सरकार को अरबों रुपये के राजस्व की भी प्राप्ति होगी। हाल के सर्वे में करवंदिया पहाड़ पर पेड़-पौधे नहीं पाए गए हैं। खनन कार्य कराने से पर्यावरण को कोई क्षति नहीं पहुंचेगी। खनन पट्टों की बंदोबस्ती से जहां अवैध खनन रुकेगा, वहीं सरकार के खजाने भी भरेंगे। कहते हैं अधिकारी :
गिजवाही व गायघाट मौजा के जिन तीन ब्लॉक के पत्थर भू-खंड को खनन कार्य के लिए बंदोबस्त किया जाना है, उसे ले प्रस्ताव बना डीएम को भेजा गया है। जिस पर जिला पदाधिकारी द्वारा वन विभाग से अंतिम रूप से एनओसी की मांग की गई है। शीघ्र पत्थर भू-खंडों को बंदोबस्त करने का कार्य पूर्ण कर लिए जाने की उम्मीद है।
सुरेंद्र प्रसाद ¨सह, सहायक निदेशक, खनन व भूतत्व