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इंद्रपुरी जलाशय के प्री प्रोजेक्ट रिपोर्ट पर सीडब्लूसी से हरी झंडी का इंतजार

रोहतास । अनुमंडल क्षेत्र के नौहट्टा प्रखंड में चार दशक से लंबित पड़ी इंद्रपुरी जलाशय परियोजना का प

By JagranEdited By: Published: Sun, 01 Mar 2020 07:15 PM (IST)Updated: Sun, 01 Mar 2020 07:15 PM (IST)
इंद्रपुरी जलाशय के  प्री प्रोजेक्ट रिपोर्ट पर सीडब्लूसी से हरी झंडी का इंतजार
इंद्रपुरी जलाशय के प्री प्रोजेक्ट रिपोर्ट पर सीडब्लूसी से हरी झंडी का इंतजार

रोहतास । अनुमंडल क्षेत्र के नौहट्टा प्रखंड में चार दशक से लंबित पड़ी इंद्रपुरी जलाशय परियोजना का प्री डीपीआर केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) में अनुमोदन को भेजे जाने के बाद अब वहां से हरी झंडी मिलने को इंतजार है। सीडब्ल्यूसी ने लगभग 12 हजार करोड़ रुपये की लागत से निर्मित होने वाली इस परियोजना की समग्रता पर रिपोर्ट तलब किया था। जिसके बाद जल संसाधन विभाग के अधिकारियों व इससे जुड़ी तकनीकी एजेंसियों ने अपनी रिपोर्ट समर्पित की है। सोमवार को यहां पहुंच रहे जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा विभागीय अधिकारियों के साथ इस पर समीक्षा कर आगे की कवायद शुरू कराने का प्रयास करेंगे।

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जल संसाधन विभाग के अनुसार सीडब्ल्यूसी की आपत्तियों पर डीपीआर तैयार करने वाली कार्य एजेंसी रॉडिक्स कंसल्टेंसी के अधिकारियों व विभागीय अधिकारियों ने निराकरण कर समग्र प्रतिवेदन केंद्रीय जल आयोग को भेज दिया है। जिसमें यह बताया गया है कि इस परियोजना से कितने लोग लाभान्वित होंगे। उसका इस क्षेत्र में पड़ने वाले असर पर भी चर्चा की गई है।

इंद्रपुरी जलाशय से लाभ :

जलाशय आने वाले वर्षों में मध्य बिहार और दक्षिण बिहार के लिए ही नहीं बल्कि झारखंड में सिंचाई के लिए भी वरदान साबित होगा। नहरों का निर्माण कर असिचित क्षेत्रों में पानी पहुंचाया जाएगा। जिले में दुर्गावती जलाशय से शेष बचे असिचित क्षेत्रों में भी नहरों का निर्माण कराकर सिचाई की व्यवस्था की जाएगी । परियोजना के पूर्ण होने पर लगभग तीन सौ मेगावाट पनबिजली का भी उत्पादन होगा।

अगस्त 2017 में डीपीआर तैयार करने का कार्य प्रारंभ हुआ । कार्य एजेंसी रॉडिक्स कंसल्टेंसी को इसका डीपीआर तैयार करने के लिए 18 माह का समय दिया गया था । लेकिन कुछ आंकड़ों को संकलित करने व उसे मंगाने में विलंब हुआ । तीन माह पूर्व सीडब्ल्यूसी को प्री प्रोजेक्ट रिपोर्ट समर्पित किया गया है । इंद्रपुरी जलाशय का लेवल 169 मीटर होगा । इसकी ऊंचाई 59 मीटर होगी । 240 स्क्वायर किमी क्षेत्र इसका फैलाव होगा । इसमें 90 लाख एकड़ फीट जल का भंडारण होगा । 300 मेगावाट पनबिजली का उत्पादन होगा । डीपीआर के अनुसार भूमि अधिग्रहण व इसके निर्माण पर 12 हजार करोड़ रुपये की लागत आएगी ।

सोन नहरों की बढ़ेगी सिचाई क्षमता :

इंद्रपुरी जलाशय निर्माण के बाद 11 लाख हेक्टेयर भूमि सिचित होगी । फिलवक्त सोन नहरों से आठ लाख हेक्टेयर भूमि की सिचाई हो रही है । इंद्रपुरी बराज भी सिचाई के लिए आत्मनिर्भर होगा । पानी के लिए मध्य प्रदेश के बाणसागर व उत्तर प्रदेश के रिहन्द जलाशय से पानी का इंतजार नही करना पड़ेगा । कहते हैं अधिकारी :

सीडब्ल्यूसी को अनुमोदन को भेजा गया प्री प्रोजेक्ट रिपार्ट में कुछ बिदुओं पर रिपोर्ट मांगी गई थी। जिसकी रिपोर्ट तैयार कर भेज दिया गया है । प्री प्रोजेक्ट रिपोर्ट के अनुमोदन के बाद ड्राफ्ट डीपीआर तैयार किया जा रहा है, जो लगभग 12 हजार करोड़ की होगी। केंद्र व राज्य सरकार इस परियोजना का निर्माण कार्य जल्द से जल्द प्रारम्भ करने को गम्भीर है ।

राम विनय सिंहा

कार्यपालक अभियंता- इंद्रपुरी बराज


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