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संसार में सत्संग से बड़ी वस्तु कुछ भी नहीं: सुंदरराज

रोहतास। मानव को सत्संग ही जीवन मरण के चक्र से छुटकारा दिला सकता है। संसार मे सत्संग से ब

By Edited By: Published: Fri, 15 Jul 2016 03:05 AM (IST)Updated: Fri, 15 Jul 2016 03:05 AM (IST)
संसार में सत्संग से बड़ी वस्तु कुछ भी नहीं:  सुंदरराज

रोहतास। मानव को सत्संग ही जीवन मरण के चक्र से छुटकारा दिला सकता है। संसार मे सत्संग से बड़ी वस्तु कुछ भी नहीं है। राजपुर में आयोजित चतुर्मास यज्ञ में सुंदर राज स्वामी ने अपने प्रवचन के दौरान यह बातें कही। उन्होंने सत्संग व व्यक्ति की व्याख्या करते हुए कहा कि सत्संग में पहुंचना और वहां पहुंच कर रूचि लेना दोनों अलग-अलग बात है। क्योंकि पहुंचना तन से होता है और रूचि लेना मन का कार्य है। तन से किए गए कार्यों से मन से किया हुआ कार्य श्रेष्ठ होता है। रामचरित मानस की तात स्वर्ग अपवर्ग सुख धरही तुला इक अंग, तुले न ताही सकल मिलि जो सुख लव सत्संग स्वर्ग व समस्त लोकों के सारे सुख भी सत्संग रूपी सुख की बराबरी नहीं कर सकता। भक्ति के द्वारा ही व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त कर सकते हैं। चतुर्मास यज्ञ के अध्यक्ष ने बताया कि चार माह तक चलने वाले इस यज्ञ में प्रतिदिन शाम 5 बजे से सात बजे तक प्रवचन आरती, जबकि सुबह 6 बजे मंगला आरती होगी।


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