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नए एहसास के साथ बनेगी मजबूत लोकतंत्र की अनमोल कड़ी

लोकतांत्रिक व्यवस्था में पहली बार हिस्सा बनने जा रही महिला मतदाता अभी से ही उत्साहित नजर आ रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Oct 2020 05:15 PM (IST)Updated: Tue, 20 Oct 2020 05:15 PM (IST)
नए एहसास के साथ बनेगी मजबूत लोकतंत्र की अनमोल कड़ी
नए एहसास के साथ बनेगी मजबूत लोकतंत्र की अनमोल कड़ी

प्रमोद टैगोर, संझौली: रोहतास। लोकतांत्रिक व्यवस्था में पहली बार हिस्सा बनने जा रही महिला मतदाता अभी से ही उत्साहित नजर आ रही हैं। विगत एक दशक से मताधिकार के प्रयोग में महिला मतदाता काफी सक्रियता से मतदान को ले आगे आई है। महिला मतदाताओं का वोट माननीयों के लिए वरदान साबित होते आया है। इसबार संझौली के 2200 नए महिला वोटर अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर लोकतंत्र की मजबूती की अनमोल कड़ी बनने जा रही है। वे चाहती हैं कि उनके वोट से योग्य प्रतिनिधि की जीत सुनिश्चित हो, जो महिला शिक्षा, क्षेत्र के विकास व रोजगार के साथ नारी सशक्तिकरण पर विशेष जोर दें। 62 बूथों वाले संझौली प्रखंड में पिछले चुनाव में महिला मतदाताओं की संख्या 19251 थी, इसबार यह संख्या बढ़कर 21451 हो गई है। जबकि पिछले चुनाव में पुरुष मतदाताओं की संख्या 22760 थी व इसबार 23303 ही हुई है। पुरुष मतदाताओं की संख्या में सिर्फ 543 की बढ़ोतरी हुई है, वहीं 22 सौ महिला मतदाता। स्पष्ट है कि इसबार के भी चुनाव में यहां की महिला मतदाताओं की भूमिका निर्णायक साबित होगी।

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15 बूथों पर महिला वोटर की रहेगी निर्णायक भूमिका:

वैसे संझौली में 47 बूथ है। पर 22 सौ महिला मतदाताओं की संख्या बढ़ने से 15 बूथ और बढ़े हैं , जहां महिला मतदाताओं की भूमिका निर्णायक रहेगी। हालांकि 543 बढ़े पुरुष मतदाता भी यहां पहली बार मतदान करेंगे। 15 बूथों में औराई, तेनुआ, कैथी, सिअरुआ, मंझौली, अमेठी, सुसाड़ी, समहुता, चैता इंग्लिश, उदयपुर में दो व संझौली में चार बूथ शामिल हैं।

कहती हैं पहली मतदान में सहभागी बनने वाली महिला वोटर:

सिअरुयां की रहने वाली स्नातकोत्तर की छात्रा पल्लवी सिंह कहती है कि लोकतंत्र के महापर्व में महिलाओं की भागीदारी महत्वपूर्ण है। ऐसे में एक योग्य प्रतिनिधि का चयन जरूरी है, जो पढ़ा लिखा हो व शिक्षा उसकी प्राथमिकता में शामिल हो। क्योंकि शिक्षा से ही क्षेत्र का चौमुखी विकास संभव है। नारी शिक्षा के साथ नारी सशक्तिकरण पर बल दे।

गरुडा गांव की छात्रा अनुराधा सिंह बताती है कि इसबार का विधानसभा चुनाव बिहार के नवनिर्माण का चुनाव है। लॉकडाउन के कारण छात्र-छात्राओं की पढ़ाई एक वर्ष पीछे चली गई। ऐसे में पढ़ा-लिखा और योग्य प्रतिनिधि के चुनाव से ही शिक्षा के स्तर सुधरेगा व क्षेत्र का विकास होगा। गरीब घरों की बेटियों को विशेष तौर पर शिक्षा मिले। ऐसे मुद्दों पर ध्यान देने वालों को ही वोट करना चाहिए।

स्नातक की छात्रा व जूड़ो कराटे की खिलाड़ी डिहरी की निधि कुमारी बताती हैं कि आज महिलाएं हर क्षेत्र में परचम लहरा रही है। हालांकि अब भी गांव की लड़कियों को खेल के प्रति प्रोत्साहित करने वाले प्रतिनिधियों की कमी है। वैसे प्रतिनिधि का चुनाव करें, जो क्षेत्र के विकास के साथ ग्रामीण प्रतिभा को भी बढ़ावा दें।

मेडिकल की तैयारी कर रही पूनम शर्मा बताती हैं कि चुनाव महापर्व है व मतदान उसकी पूजा। जिसकी शुद्धता से ही राज्य, देश एवं क्षेत्र खुशनुमा बनता है। मतदान वैसे प्रतिनिधियों के लिए होन चाहिए जो लोकतंत्र में स्वच्छ व्यवस्था कायम कर करें। सबके हितार्थ सोचे। गरीबों का कार्य उसकी प्राथमिकता में शामिल हो।


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