..मां तू ही ममता का सागर, तू ही धरती पर स्वर्ग
भारतीय संस्कृति में मां के प्रति लोगों में अगाध श्रद्धा रही है। हम कितने भी बड़े हो जाएं ले
भारतीय संस्कृति में मां के प्रति लोगों में अगाध श्रद्धा रही है। हम कितने भी बड़े हो जाएं, लेकिन मां की नजर में बच्चे ही रहते हैं। मां वह अलौकिक शब्द है, जिसके स्मरण मात्र से ही रोम-रोम पुलकित हो उठता है। मां हर दिन, हर पल सांसों में बसने वाली होती है। वही ममता का सागर और उसका आंचल धरती पर स्वर्ग के समान है।
यह कहना है नोखा प्रखंड के तिलई गांव निवासी जिले के सबसे बड़े संयुक्त परिवार के सदस्य व पूर्व एमएलसी कृष्णकुमार सिंह का। कहते हैं, उन्हें गर्व है कि उनकी मां 101 वर्षीया बबुनी देवी आज भी पूरी तरह स्वस्थ हैं और सभी भाइयों के खाने-पीने की चिता करती हैं। पसंद का खाना तैयार कराती हैं। हम सभी के लिए प्रतिदिन मदर्स-डे है। उनके पिता हरिनारायण सिंह भी राज्य के ही नहीं, बल्कि देश के कार्यरत वकीलों में सबसे उम्रदराज व वरिष्ठ हैं।
वरिष्ठ समाजसेवी देवेंद्र कुमार सिंह, अरुण कुमार सिंह व सुबोध कुमार सिंह कहते हैं, मां की ममता और उसके आंचल की महिमा को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। उसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है, जिसने आपको और आपके परिवार को आदर्श संस्कार दिए। उनके दिए गए संस्कार ही मेरी दृष्टि में आपकी मूल थाती है। जो हर मां की मूल पहचान होती है। हर संतान अपनी मां से ही संस्कार पाता है, लेकिन मेरी दृष्टि में संस्कार के साथ शक्ति भी मां ही देती हैं। इसलिए, हमारे देश में मां को शक्ति का रूप माना गया है और वेदों में भी मां को सर्वप्रथम पूजनीय कहा गया है। पूर्व एमएलसी कृष्ण कुमार सिंह कहते हैं, जो भी मैं हूं, यह मेरी मां की देन है। आज हम सभी चार भाइयों के आठ पुत्रों में कभी विवाद नहीं हुआ, यह भी मेरी मां का दिया हुआ संस्कार है। मां बबुनी देवी कहती हैं, जीवन में सबसे बड़ी पूंजी परिवार होता है और अनुशासन के साथ कर्म मनुष्य को महान बनाता है। आज वे चार पीढि़यों के 63 सदस्यों के बीच एक छत के नीचे रहती हैं। उनके चार पुत्र व एक पुत्री ऊषा सिंह हैं। सभी के दो-दो पुत्र हैं। उनके पुत्र कृष्ण कुमार सिंह दो बार बिहार विधान परिषद के सदस्य रह चुके हैं। पोता विजय कुमार सिंह, अजय सिंह, भूपेंद्र सिंह, आलोक सिंह, अविनाश सिंह, अभिषेक सिंह, अमित सिंह व रोहित सिंह में गजब का प्रेम है। आज ये सभी समाज में अपनी अलग पहचान कायम कर परिवार का नाम रोशन कर रहे हैं। पौत्र व पर्लकार्स के प्रबंध निदेशक अभिषेक कुमार सिंह उर्फ सोनू सिंह कहते हैं, दादी की सीख से ही हम सभी आगे बढ़ रहे हैं।