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नहीं बदली मानसिकता, खुले में शौच की आदत बरकरार

रोहतास। स्वछ व स्वस्थ रहने के लिए शौचालय हर किसी के लिए उतना ही जरूरी है जितना कि भोजन व पानी। वर्षों से खुले में चली आ रही खुले में शौच करने की सामाजिक बुराई को जड़ से खत्म करने के लिए लगभग साढ़े तीन वर्ष पूर्व शुरू मिशन प्रतिष्ठा स्वछता अभियान भले ही हर घर तक शौचालय बनवाने में सफल रहा हो लेकिन लोगों की मानसिकता अभी भी नहीं बदल सकी है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 06:42 PM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 06:18 AM (IST)
नहीं बदली मानसिकता, खुले में शौच की आदत बरकरार
नहीं बदली मानसिकता, खुले में शौच की आदत बरकरार

रोहतास। स्वच्छ व स्वस्थ रहने के लिए शौचालय हर किसी के लिए उतना ही जरूरी है, जितना कि भोजन व पानी। वर्षों से खुले में चली आ रही खुले में शौच करने की सामाजिक बुराई को जड़ से खत्म करने के लिए लगभग साढ़े तीन वर्ष पूर्व शुरू मिशन प्रतिष्ठा स्वच्छता अभियान भले ही हर घर तक शौचालय बनवाने में सफल रहा हो, लेकिन लोगों की मानसिकता अभी भी नहीं बदल सकी है।

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आज भी ऐसे लोगों की संख्या बहुतायत है, जिनके घर में शौचालय होने के बाद भी उनके अंदर बाहर में शौच करने की आदत बरकरार है। उनके लिए न तो अभियान कोई मायने रख सका है न उनमें बीमारी फैलने का डर। मंगलवार वार को विश्व शौचालय दिवस पर लोग एक बार फिर शौचालय के महत्व को याद करेंगे। अब तो पंचायतों में स्वच्छता अदालत भी नहीं लग रही है न मॉर्निंग-इवनिग फॉलो अप कार्यक्रम हो रहा है। जिससे कि खुले में शौच करने वालों में डर पैदा हो सके। खुले में शौच मुक्त बना जिला :

शत-फीसद घरों में शौचालय बनने के बाद इस वर्ष रोहतास जिला को खुले में शौचमुक्त बना दिया गया है। अभियान को धरातल पर उतारने को ले जिला प्रशासन को दिन-रात मेहनत करना पड़ा है। इसके लिए सामाजिक गतिविधियों पर आधारित कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। बहुत कम समय में संझौली प्रखंड को खुले में शौचमुक्त बना पूरे सूबे में जिला नजीर पेश किया था।जिसमें संझौली प्रखंड की फुलकुमारी, शांति देवी समेत कई महिलाएं प्रेरणास्त्रोत रही। जिन्हें केंद्र व राज्य सरकार सम्मानित भी कर चुकी है। मंगल सूत्र बेच शौचालय बनवाने वाली फुलकुमारी को प्रधानमंत्री भी सम्मानित किए थे। इसके बाद संझौली की उपप्रमुख डॉ. मधु उपाध्याय, सासाराम की प्रखंड प्रमुख रामकुमारी देवी समेत दर्जनों महिला-पुरूष अहम भूमिका निभा अभियान की महत्वपूर्ण कड़ी बनने का काम किया। अदालती कार्यवाही की सीएम ने की थी प्रशंसा :

अभियान को हकीकत में बदलने को ले यहां पर कई अनूठे प्रयोग किए गए। जिसमें स्वच्छता अदालत, चौपाल, स्वच्छता दौड़, सर्वधर्म प्रार्थना सभा, पदयात्रा प्रमुख रूप से शामिल है। यहां तक कि समीक्षा यात्रा के दौरान जिले के दौरे पर पहुंचे सीएम नीतीश कुमार ने संझौली प्रखंड के सुसाड़ी गांव में आयोजित स्वच्छता अदालत की कार्यवाही को देख गदगद ही नहीं हुए बल्कि खुलकर प्रशंसा भी की थी। जिसमें उन्होंने खुले में शौच करते दोषी पाए गए लोगों को फूलमाला से सम्मानित करने के अलावा पौधारोपण की सजा को अनूठा बताया था। लेकिन अब न तो स्वच्छता अदालत लग रही है न खुले में शौच करने वालों पर जुर्माना ही लगाया जा रहा है। प्रेरणादायी रहा था स्वच्छता दीप :

अभियान की अपनी एक पहचान हो इसे ले स्वच्छता दीप व ध्वज को प्रतीक के रूप में माना गया था। जिसे प्रखंड से ले गांव तक अनिवार्य किया गया था। लेकिन आज लोग इन दोनों प्रतीक को भूलने लगे हैं। न तो स्वच्छाग्रहियों द्वारा मॉर्निंग व इवनिग फॉलो किया जा रहा है न स्वच्छता गीत ही सुनाई दे रही है। जबकि जिले में खुले में शौच करने जैसी कुप्रथा को पूरी तरह समाप्त करने के लिए व्यक्तिगत से लेकर सामुदायिक शौचालय तक बनाने का कार्य अब भी किया जा रहा है।


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