मलेरिया प्रभावित जोन बने पहाड़ी गांव, पांच दर्जन आक्रांत
कैमूर पहाड़ी पर बसे गांवों को दो दशक में भी मलेरिया प्रभावित जोन से बाहर नहीं।
रोहतास। कैमूर पहाड़ी पर बसे गांवों को दो दशक में भी मलेरिया प्रभावित जोन से बाहर नहीं निकाला गया। जिससे हर साल दर्जनों लोग इससे आक्रांत होते हैं। स्वास्थ्य महकमा औपचारिकता पूरी कर दवा, मच्छरदानी वितरण तक अपने को सीमित रखा है। पांच माह पूर्व रेहल पहुंचे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इन पहाड़ी गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने का निर्देश सिविल सर्जन समेत स्वास्थ्य विभाग के राज्य स्तरीय अधिकारियों को दिया था। बावजूद अबतक मुख्यमंत्री के निर्देश पर अमल नहीं हुआ। जिससे इस वर्ष भी पांच दर्जन से अधिक लोग रेहल में ही मलेरिया से आक्रांत हैं। वे गत दो सप्ताह से इलाज के लिए झोला छाप पर निर्भर हैं। गुरुवार को पहुंचे सिविल सर्जन व उनकी टीम ने कुछ दवाओं व मच्छरदानी वितरित कर औपचारिकता पूरी की।
कैमूर पहाड़ी पर बसे रेहल, हुरमेटा, न्यका डीह समेत कई गांवों मे गत 15 दिनों से मलेरिया अपना पांव पसारा हुआ है। सौ से अधिक लोग बुखार व दर्द से आक्रांत हैं। इन गांवों में ठप पड़ी स्वास्थ्य सेवाएं व उपकेंद्रों में लटक रहे ताले के बाद ग्रामीण झोला छाप से महंगे इलाज कराने को विवश हैं। इन गांवों में गत पांच वर्षों में केवल मलेरिया से एक दर्जन लोगों की मौत हो गई है। रेहल पहुंची टीम ने 95 लोगों का ब्लड सैंपल लेकर इलाज शुरू की। वहीं मच्छररोधी दवाओं का छिड़काव कराना भी प्रारंभ किया। सीएस जनार्दन शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि बीमारी पर नियंत्रण कर लिया गया है। सिविल सर्जन डॉ. जनार्दन शर्मा ने सौ मच्छरदानी का वितरण किया। सिविल सर्जन ने बताया कि रेहल में बीमारी को पूरी तरह नियंत्रित कर लिया गया है। लेकिन गांव में गंदगी के कारण बीमारी पुन: होने की संभावना को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। मलेरिया की दवा भी रेहल स्वास्थ्य उप केंद्र में उपलब्ध करा दिया गया है। चिकित्सा प्रभारी अशोक कुमार ने बताया कि रेहल में मलेरिया का प्रकोप होने की जानकारी जिला मुख्यालय को दी गई थी। दो दशक से मलेरिया प्रभावित जोन हैं पहाड़ी गांव :
गत दो दशक से रोहतास व नौहट्टा प्रखंड के पहाड़ी गांवों को मलेरिया प्रभावित जोन घोषित किया गया है। लेकिन इतने सालों में भी यहां कोई ठोस वयवस्था नहीं की गई। यहां तक कि डीडीटी का छिड़काव तक नहीं किया जाता है। मलेरिया फैलने के बाद कोई अनहोनी होने पर स्वास्थ्य विभाग की टीम यहां पहुंच औपचारिकता पूरी करती है। मुखिया श्याम नारायण उरांव कहते हैं कि यह तो हद है कि जिस पहाड़ी गांव में मुख्यमंत्री के साथ राज्य के तमाम बड़े अधिकारी पहुंच इसे मॉडल गांव के रूप में विकसित करने की कार्ययोजना तैयार करते हों। वहां का स्वास्थ्य महकमा इसे मलेरिया जोन से भी बाहर नहीं निकाल पा रहा है। नौहट्टा पीएचसी व रेफरल अस्पताल की स्थिति भी खराब है। रेहल स्वास्थ्य उपकेंद्र में प्राय: ताला लटका रहता है।
रिपोर्ट- प्रेम पाठक, संपादन : ब्रजेश पाठक