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सर्वगुण संपन्न एक महान विचारक थे महर्षि अर¨वद

रोहतास। महर्षि अर¨वद व्यक्ति की परिपूर्णता, सामाजिक परिवर्तन व मानवीय एकीकरण के लिए प्रयास

By JagranEdited By: Published: Mon, 11 Feb 2019 05:30 PM (IST)Updated: Mon, 11 Feb 2019 05:30 PM (IST)
सर्वगुण संपन्न एक महान विचारक थे महर्षि अर¨वद
सर्वगुण संपन्न एक महान विचारक थे महर्षि अर¨वद

रोहतास। महर्षि अर¨वद व्यक्ति की परिपूर्णता, सामाजिक परिवर्तन व मानवीय एकीकरण के लिए प्रयासरत रहे थे। वे मानवीय गुणों से परिपूर्ण आधुनिक भारत के एक महान विचारक थे। श्री अर¨वद सोसाइटी केंद्र पर

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प्रज्ञा कुंज द्वारा पचकोष योगिक साइंस व वैज्ञानिक अध्यात्म अनुसंधान पर आयोजित दो दिवसीय सेमिनार के समापन पर सोमवार को साधक लालबिहारी ¨सह ने यह बातें कही। उन्होंने महर्षि अर¨वद व श्रीमां के दिव्य विचारों, आदशरें व उनके पूर्ण योग की साधना पद्धति से अवगत कराया। उन्होंने इसे दैनिक जीवन में उतारने के लिए लोगों को प्रेरित भी किया, ताकि मानव जीवन दिव्य शांति, सत्य, प्रेम ,शक्ति ,प्रकाश और ऊर्जा को प्राप्त कर आनंदमय जीवन जी सके।

उन्होंने कहा कि महर्षि अर¨वद का यह एक ऐसा सामूहिक प्रयास है, जिसके द्वारा धरती पर संपूर्ण जीवन का रूपांतरण संभव है।उन्होंने महर्षि अर¨वद को क्रांतिकारी, लेखक, कवि, ऋषि, योगी, अध्यात्मिक गुरु, दार्शनिक व आधुनिक भारत का एक महान विचारक बताया। जिन्होंने पूर्ण योग का प्रतिपादन किया। जिसका उद्देश्य है, इस धरती पर मानव जीवन को जीवन में परिवर्तित करना। महर्षि अर¨वद ने एक महान क्रांतिकारी के रूप में स्वाधीनता आंदोलन को एक नई दिशा दी। पूर्ण स्वराज का नारा सबसे पहले उन्होंने ही दिया था। महर्षि ने वेद, उपनिषद, गीता आदि ग्रंथों पर टीका लिखी व योग साधना एवं दर्शन पर मौलिक ग्रंथ भी लिखे। उनका दर्शन उनकी आध्यात्मिक अनुभूति का सार है।

श्री ¨सह ने कहा कि महर्षि अर¨वद ने 40 वर्ष तक पांडिचेरी में रहकर पृथ्वी पर दिव्य जीवन के लिए अथक प्रयास किया। उनके अनुसार मनुष्य का विकास निरंतर चल रहा है। जिसका अगला सोपान है,मानस से अतिमानस का विकास। उसमें सुप्त देवत्व का विकास, जीवन का दिव्य जीवन में रूपांतरण व पृथ्वी पर अति मानसिक चेतना का अवतरण। उन्होंने बताया कि महर्षि अर¨वद ने जीवन को दिव्य जीवन के रूपांतरण के योग को पूर्ण योग की संज्ञा दी है। पूर्ण योग सांसारिक जीवन का त्याग न कर आध्यात्मिक जीवन के साथ सामंजस्य, समस्त मानव जीवन की पूर्णत्व व मानव के भीतर ईश्वरत्व की अभिव्यक्ति का योग है। श्री ¨सह के अनुसार 10 फरवरी से 14 फरवरी तक इस आधात्मिक अनुसंधान में दो दिन यहां श्री अर¨वद सोसाइटी में श्री अर¨वद योग पर लोगो ने अपने पेपर पढ़ा। समापन सोन नदी में हवन के साथ हुआ। सेमिनार में अमेरिका के बोस्टन की अप्रवासी भारतीय भारती जी, इसरो के वैज्ञानिक एएस कैरना समेत देश के विभिन्न प्रदेशों के डेढ़ दर्जन लोगों ने आध्यत्म व विज्ञान अपने विचार रखे। आगत अतिथियों का स्वागत संस्था के सचिव कृष्णा प्रसाद ने किया।


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