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आधरभूत संरचना विहीन को¨चग संस्थानों में लटकेंगे ताले

रोहतास। जिले में आए दिन कुकुरमुत्ते की तरह खुल रहे को¨चग संस्थानों पर लगाम लगाने व तय समय के अंदर उस

By JagranEdited By: Published: Fri, 02 Nov 2018 03:58 PM (IST)Updated: Fri, 02 Nov 2018 03:58 PM (IST)
आधरभूत संरचना विहीन को¨चग संस्थानों में लटकेंगे ताले
आधरभूत संरचना विहीन को¨चग संस्थानों में लटकेंगे ताले

रोहतास। जिले में आए दिन कुकुरमुत्ते की तरह खुल रहे को¨चग संस्थानों पर लगाम लगाने व तय समय के अंदर उसका संचालन कराने को ले जिला प्रशासन ने कमर कस लिया है। अब शिक्षा विभाग ने जिले में संचालित हो रहे को¨चग संस्थानों को निबंधित करने का मन पूरी तरह से बना लिया है। यदि विभाग नियमानुसार निबंधन करने में पूरी तरह से सफल रहा, तो सैकड़ों संस्थान में ताले लटक सकते हैं। कारण कि अधिकांश संस्थान छोटी सी कोठरी में संचालित हो रहे हैं, जहां एक बैच पर क्षमता से अधिक छात्रों के बैठने की व्यवस्था रहती है। जिसमें छात्र-छात्रा एक साथ बैठते हैं।

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प्रक्रिया को पूरा करने में जुटे अधिकारी :

पिछले दिनों हुई समीक्षा बैठक में डीएम से मिले टास्क के बाद विभागीय अधिकारी को¨चग संस्थानों को अधिनियम के तहत निबंधित करने के लिए सक्रिय दिखने लगे हैं। कारण कि उसी संस्थान का निबंधन किया जाएगा, जो अधिनियम के निर्धारित मापदंड पर खरे उतरेंगे व उसी संस्थान को संचालित करने की अनुमति दी जाएगी। अनिबंधित व मापदंड पर खरा नहीं उतरने वाले संस्थानों को बंद करने का फरमान जारी किया जाएगा। अधिकारी को¨चग संस्थान नियंत्रण अधिनियम नियमावली की कॉपी जुगाड़ कर इस दिशा में कार्रवाई शुरू कर दिए हैं। अब तक जिला मुख्यालय में पांच को¨चग संस्थान द्वारा निबंधन के लिए शुल्क जमा किया गया है। जिसे जांच के लिए बीईओ को निर्देश दिया गया है।

सरकार को हो रही राजस्व की क्षति :

अनिबंधित को¨चग संस्थानों के संचालन होने से सरकार को बड़े पैमाने पर राजस्व की क्षति हो रही है। निबंधन शुल्क से जहां सरकार को बड़े पैमाने पर राजस्व की प्राप्ति होगी, वही निबंधित संस्थानों को आमदनी के अनुरूप पेशा कर भी चुकता करना पड़ेगा। एक वर्ष पूर्व भी शिक्षा विभाग ने डीएम व डीईओ को पत्र भेज को¨चग संस्थानों से पेशा कर वसूलने का भी निर्देश दिया था, लेकिन यहां पर एक भी को¨चग संस्थान के पंजीकृत नहीं होने के कारण विभाग को टैक्स वसूलना टेढ़ी खीर साबित हो रहा था।

पहले भी किया जा चुका है प्रयास :

लगभग सात वर्ष पूर्व 2011 में स्थानीय गौरक्षणी ओवर ब्रिज पर एक अनियंत्रित डंपर की चपेट में आने से एक बच्चा समेत चार लोगों की हुई मौत के बाद उपद्रवियों द्वारा डेढ़ दर्जन वाहनों में आग लगा दी गई थी और कई वाहनों में जमकर तोड़फोड़ की गई थी। इस घटना के बाद जिला प्रशासन ने को¨चग संस्थानों को निबंधित करने का निर्णय लिया था। कारण कि प्रशासन ने उपद्रव को तूल देने में को¨चग संस्थान के छात्रों की भूमिका को अहम माना था। निर्णय के आलोक में शिक्षा विभाग ने संस्थानों का सर्वे कराया था, उस वक्त सिर्फ सासाराम में ही 80 से अधिक को¨चग संस्थान को पाया था। जिसमें से अधिकांश को निर्धारित मापदंड के प्रतिकूल पाया गया था।

नियमावली की मुख्य बातें :

- निबंधन शुल्क पांच हजार रुपये का बैंक ड्राफ्ट

- ट्रस्ट या सोसायटी एक्ट से निबंधित होना अनिवार्य

- भूमि का विवरण

- भवन का कुल कारपेट एरिया

- वर्ग कक्ष की संख्या

- प्रति वर्ग कक्ष छात्रों की संख्या

- वर्ग कक्ष का न्यूनतम क्षेत्र प्रति छात्र

- शौचालय की संख्या : छात्र-छात्रा

- वाहन व साइकिल के लिए पार्किंग सुविधा

- पेयजल की सुविधा

- छात्रों के अनुपात में बेंच डेस्क की व्यवस्था

- प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था

- अग्निशमन की व्यवस्था

- प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था

- पढ़ाए जाने वाले निर्धारित पाठ्यक्रम की संख्या

- पाठ्यक्रम पढ़ाए जाने की निर्धारित अवधि

- शिक्षण शुल्क

- शिक्षकों की संख्या व जीवनवृत्त

- शिक्षकेत्तर कर्मियों की संख्या जीवनवृत के साथ

कहते हैं अधिकारी :

को¨चग संस्थानों को निबंधित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई हैं। जिले में संचालित होने वाले संस्थानों की जांच के लिए नोटिस भेजने का कार्य शुरू किया गया है। जिस संस्थान से शुल्क प्राप्त हुआ है, उसकी जांच कराई जा रही है। जो संस्थान अधिनियम के मापदंड पर खरे नहीं उतरेंगे, उसका निबंधन नहीं किया जाएगा। साथ ही उसे बंद करने की कार्रवाई की जाएगी।

देवेश चौधरी, डीपीओ स्थापना सह प्रभारी को¨चग संस्थान निबंधन


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