गांधी के आह्वान पर संभाला था भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व
रोहतास। 1942 में महात्मा गांधी के आह्वान पर भारत छोड़ो आंदोलन इस क्षेत्र में भी जोर पकड़ लिया की लहर य
रोहतास। 1942 में महात्मा गांधी के आह्वान पर भारत छोड़ो आंदोलन इस क्षेत्र में भी जोर पकड़ लिया की लहर यहां भी थी। संझौली के गुजर धोबी व झड़ी महतो के साथ उदयपुर के रामवृत्त ¨सह भी उस आंदोलन का अहम हिस्सा थे। 13 अगस्त 1942 को अंग्रेजों की फौज को रोकने के लिए संझौली से एक किमी की दूरी पर स्थित तीन पुलिया पर बने मार्ग को लोगों ने काट दिया था। कारण था कि इसके दो दिन पूर्व यानी 11 अगस्त को संझौली में आए फिरंगियों को यहां के लोगों ने खदेड़ दिया था। इससे अंग्रेज काफी कुपित थे। अंग्रेजों को खदेड़ने में गुजर धोबी व झड़ी महतो के साथ रामवृत्त ¨सह की भूमिका अहम थी। लेकिन ग्रामीणों को जिसका अंदेशा था, वही हुआ भी। 13 अगस्त को दर्जनों की संख्या में यहां ब्रिटिश फौज आई और हमला बोल दिया। तीन पुलिया के पास काटे गए रास्ते को लांघ कर वे संझौली में प्रवेश कर आए और गोलियों की बौछार शुरू कर दी। चारों तरफ भगदड़ मच गई। अंग्रेजों की बंदूक से निकली गोली से गुजर धोबी व झड़ी महतो शहादत को प्राप्त हुए। परंतु उस आंदोलन के हिस्सा रहे रामवृत्त ¨सह बच गए थे। दो दिन पूर्व पटना के एक निजी हॉस्पिटल में उनके निधन के बाद आज उनसे जुडी यादें फिर से ताजा हो गई।
उनके पुत्र राजबली चौधरी, अधिवक्ता सुरेंद्र चौधरी, महेंद्र चौधरी, पप्पू चौधरी बताते हैं कि पिताजी अक्सर 1942 के आंदोलन से जुड़ी कहानियां सुनाया करते थे। उन्होंने हमेशा समाज व देशहित में कार्य करने की प्रेरणा देते रहे। समाजसेवी श्रीभगवान ¨सह बताते हैं कि उनके निधन के बाद क्षेत्र में अब 1942 के आंदोलन का नेतृत्व करने वाला कोई योद्धा क्षेत्र में नहीं रहा। क्षेत्र में स्वतंत्रता आंदोलन के अबतक अंतिम स्तम्भ बचे थे। उनसे हम हमेशा प्रेरणा लेते रहेंगे।
शहीदों की याद में बनाया जाएगा स्मारक:
1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के सिपाहियों की शहादत को याद रखने के लिए संझौली में संयुक्त रूप से स्मारक बनाया जाएगा।आजादी के बाद स्वतंत्रता सेनानी शहीद झड़ी महतो व गुजर धोबी की याद में 1970 में बिक्रमगंज में स्मारक बनाया गया था। उप प्रमुख डॉ. मधु उपाध्याय ने बताया कि 1994 में संझौली बिक्रमगंज से अलग होकर नया प्रखंड बन गया। उन शहीदों का स्मारक यहां नहीं है। आज उस आंदोलन के तीसरे सिपाही का भी निधन हो गया। बीडीसी की अगली बैठक में इसको लेकर एक प्रस्ताव पारित किया जाएगा व स्मारक बनाने को ले पहल की जाएगी।